बस्ती
यूपी बोर्ड के कारनामे से विभागीय अधिकारी व शिक्षा जगत हैरत में है। किराए के पांच कमरे में चले रहे जनता इंटर कॉलेज पोखरा बाजार को भी परीक्षा केंद्र की सूची में शामिल कर दिया गया है। आधा दर्जन से ज्यादा विद्यालय ऐसे हैं, जिनके मानक विहीन होने के बावजूद सूची में नाम शामिल हैं। डीआईओएस ने मानक न पूरा करने वाले इन विद्यालयों को केंद्र न बनाए जाने की संस्तुति की थी। विभाग का कहना है कि विद्यालयों से आपत्ति मांगी गई है। इसके अलावा जिला स्तरीय समिति भी मानक विहीन विद्यालयों की स्क्रीनिंग कर उन्हें सूची से बाहर कर सकती है।
यूपी बोर्ड की ओर मंगलवार को जिले के 117 परीक्षा केंद्रों की सूची जारी की गई है। इसमें सर्वाधिक 61 अशासकीय सहायता प्राप्त, 51 वित्तविहीन तथा चार सरकारी विद्यालयों का नाम शामिल है। इसमें से आधा दर्जन से ज्यादा विद्यालय ऐसे हैं, जो परीक्षा केंद्र बनाए जाने के लिए बोर्ड की ओर से जारी मानक पूरा ही नहीं करते हैं। जिला स्तर से भी इन विद्यालयों को केंद्र न बनाए जाने की रिपोर्ट भेजी गई थी।
जनता इंटर कॉलेज पोखरा बाजार का मुख्य भवन विवाद के कारण वर्तमान में सील है। कोर्ट के आदेश पर यहां के बच्चों को दूसरे स्कूल में शिफ्ट किया गया था। मान्यता प्रत्यहरण के लिए बोर्ड को सिफारिश की जा चुकी है। अब प्रबंधन सील विद्यालय भवन को छोड़कर किराए के मकान में विद्यालय चलाने का दावा कर रहा है। चार लिटर्ड कमरे में विद्यालय का संचालन हो रहा है। सहायता प्राप्त विद्यालय होने के बाद भी यहां पर काफी कम संख्या में परीक्षार्थी हैं। केवल 200 विद्यार्थियों को बैठान की व्यवस्था है। यहां पर हाईस्कूल के 219 व इंटर के 444 परीक्षार्थियों का केंद्र बना दिया गया है। परीक्षा केंद्र पर एक भी शौचालय नहीं है। जबकि अध्यापकों की संख्या 23 है।
इसी प्रकार केंद्र बनाया गया राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बरहपुर आज भी जूनियर हाईस्कूल के भवन में चल रहा है। यहां कोई सुविधा नहीं है। केंद्र बनाए गए दो अन्य राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भी मानक को पूरा नहीं कर रहे हैं। जनता इंटर कॉलेज इटवा कुनगाई में भी सुविधाओं का अभाव है। विभाग का कहना है कि यह संख्या और बढ़ सकती है।
शहर के पुरानी बस्ती में स्थित महाजन इंटर कालेज का भवन जर्जर हो गया है। सुविधाओं के नाम पर हाल बदहाल है। इसकी रिपोर्ट डीआईओएस ने दी है। 11 कमरों वाले विद्यालय में केवल बालक व एक बालिका का शौचालय है। सबसे महत्वपूर्ण सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा है। केवल 105 परीक्षार्थियों को बैठा कर परीक्षा कराई जा सकती है। इसके उलट हाईस्कूल के 206 व इंटर के 319 कुल 525 परीक्षार्थियों का केंद्र बना दिया गया है।
परीक्षा केंद्र बनाए जाने की कम्प्यूटराइज्ड प्रणाली पर अब सवाल उठने लगे हैं। शिक्षा जगत से जुड़े लोगों का कहना है कि पिछले साल परीक्षा केंद्र बनाए गए अनेक विद्यालय छोड़ दिए गए तथा ऐसे विद्यालयों को सूची में शामिल कर लिया गया जो मानक विहीन हैं। डीआईओएस की रिपोर्ट को भी नजरअंदाज कर दिया गया है।
शैक्षिक महासभा उत्तर प्रदेश के मुख्य महासचिव डॉ. अनिल श्रीवास्तव का कहना है कि परीक्षा नीति के विपरीत केंद्रों का निर्धारण किया गया है। अब आशंका इस बात की है कि अगर जिले से केंद्र निर्धारण की अनुमति मिलती है तो लंबा खेल शुरू हो जाएगा। शासन को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
डॉ. बृजभूषण मौर्य (डीआईओएस, बस्ती) ने कहा- केंद्र न बनाए जाने की संस्तुति के बाद भी कई स्कूलों को परीक्षा केंद्र बना दिया गया है। इन्हें सूची से बाहर करने की कार्रवाई की जाएगी। शासन के दिशा-निर्देश के अनुसार जिला परीक्षा केंद्र निर्धारण समित के माध्यम से आगे की कार्रवाई होगी।