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किरण बेदी का सपोर्ट दिल्ली पुलिस को

 
नई दिल्ली 

दिल्ली पुलिस में सीनियर ऑफिसर रह चुकीं किरण बेदी दिल्ली पुलिस के जवानों के समर्थन में आ गई हैं. उन्होंने तीस हजारी कोर्ट में पुलिस-वकीलों की हिंसक झड़प पर दिल्ली पुलिस को सलाह दी है कि पुलिस अपने रुख पर दृढ़ता से कायम रहे चाहे नतीजा कुछ भी हो. बता दें कि दिल्ली से हजारों किलोमीटर दूर पुदुचेरी में बैठीं किरण बेदी के पोस्टर मंगलवार को पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे कई पुलिसकर्मियों ने थाम रखा था. ये पुलिसकर्मी नारा लगा रहे थे, 'किरण बेदी शेरनी हमारी', 'हमारा पुलिस कमिश्नर कैसा हो, किरण बेदी जैसा हो'. बता दें कि बेदी अभी पुदुचेरी की उपराज्यपाल हैं. आखिर वकीलों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पुलिसकर्मी किरण बेदी को क्यों याद कर रहे थे?

जब 'वकील' को पहनाई गई थी हथकड़ी
दरअसल किरण बेदी को याद करने के पीछे एक कहानी है. ये कहानी 31 साल पुरानी है और इस कहानी के तार भी तीस हजारी कोर्ट से जुड़े हैं. उस दौरान भी राजधानी में काला कोर्ट वर्सेज खाकी वर्दी की नौबत आ गई थी. तब किरण बेदी ने बिना किसी दबाव के झुके पुलिसकर्मियों के पक्ष में बयान दिया था.  बात 1988 की है. आईपीएस किरण बेदी तब दिल्ली में डीसीपी नॉर्थ के पद पर तैनात थीं.  15 जनवरी 1988 को पुलिस ने एक वकील को सेंट स्टीफेंस कॉलेज से एक लड़की का पर्स चुराते हुए गिरफ्तार किया था. जब 16 जनवरी को इस वकील को हथकड़ी लगाकर तीस हजारी कोर्ट में मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया तो वहां के वकील भड़क गए और उन्होंने तत्काल आरोपी वकील को छोड़ने की मांग की और पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. मजिस्ट्रेट ने वकील को उसी दिन छोड़ दिया और दिल्ली पुलिस के कमिश्नर को आरोपी पुलिस कर्मियों के खिलाफ एक्शन लेने को कहा.

लाठी चार्ज में वकील हुए थे घायल
18 जनवरी को वकील अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए. किरण बेदी ने 20 जनवरी को एक बयान जारी किया और पुलिस के एक्शन को सही करार दिया, उन्होंने कथित 'चोर' को छोड़ने के लिए मजिस्ट्रेट की आलोचना भी की. 21 जनवरी को कुछ वकील किरण बेदी से उनके दफ्तर में मिलना चाहते थे. उस दौरान किरण बेदी का दफ्तर तीस हजारी कोर्ट कॉम्पलेक्स में ही मौजूद था. तब लाठी चार्ज का आदेश दे दिया गया. इसमें कई वकील घायल हो गए थे. इसके बाद दिल्ली में हंगामा हो गया. वकील किरण बेदी के इस्तीफे की मांग करते रहे, और 2 महीने तक काम नहीं किया.

वकीलों ने किरण बेदी पर अत्यधिक बल प्रयोग का आरोप लगाया, लेकिन किरण बेदी ने कहा कि पुलिसवाले उनके दफ्तर में जबरन घुस आए थे, वे गालियां दे रहे थे और कपड़े फाड़ दे रहे थे, इसके बाद पुलिस को मजबूरन बल प्रयोग करना पड़ा. आखिरकार इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट को दखल देना और मामले की जांच करने के लिए दो जजो की एक कमेटी गठित की गई. इस कमेटी ने कहा कि आरोपी वकील को हथकड़ी लगाना गलत था. कमेटी ने किरण बेदी के ट्रांसफर की भी सिफारिश की.

दबाब के आगे नहीं झुकीं
इस घटना को याद करते हुए एलजी किरण बेदी ने एक न्यूज एजेंसी से कहा कि वकीलों की ओर से उनपर बहुत दबाव बनाया गया, लेकिन वे अपने रुख पर कायम रहीं और झुकने से इनकार कर दिया. किरण बेदी ने कहा कि वकील हथकड़ी पहनाने वाले पुलिसकर्मी के निलंबन/गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे. लेकिन वे नहीं झुकीं.

अपने रूख पर कायम रहे दिल्ली पुलिस-बेदी
उस घटना को याद करते हुए किरण बेदी ने अपना पक्ष रखा, "गिरफ्तारी के वक्त उस शख्स ने अपना परिचय एक वकील के रूप में नही दिया था, उस शख्स ने पुलिस को अपना नाम भी दूसरा बताया था." किरण बेदी ने कहा कि उस वक्त के पुलिस कमिश्नर वेद मारवाह पूरी मजबूती के साथ उनके साथ खड़े रहे. तीस हजारी कोर्ट की मौजूदा घटना के बाद किरण बेदी ने दिल्ली पुलिस को सलाह दी है कि वह अपने रुख पर दृढ़ता से कायम रहे चाहे नतीजा कुछ भी हो.

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