नई दिल्ली
केंद्रीय कैबिनेट बुधवार को एक अहम कानून में बदलावों को पारित कर सकता है। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी ऐक्ट में बदलावों को मंजूरी दी सकती है। सूत्रों के मुताबिक गर्भ-निरोधक उपायों के काम नहीं करने के कारण गर्भपात कराने को कानूनी रूप से वैध मानने के लिए इस कानून में बदलाव किए जा सकते हैं। खास बात यह है कि यह अविवाहित महिलाओं के लिए भी मान्य होगा। इससे सिंगल महिलाओं के लिए कानूनी दायरे में और सुरक्षित तरीके से अनचाहे गर्भ को गिराना आसान हो जाएगा।
अभी विवाहित महिलाओं के लिए है कानून
अभी जो कानून है उसके अंतर्गत गर्भ-निरोधक के काम न करने या अनचाहे गर्भ को गर्भपात के लिए कानून रूप से वजह सिर्फ विवाहित महिलाओं के केस में माना जाता है। कानून के मुताबिक नाबालिग लड़कियों के लिए पैरंट्स की लिखित में इजाजत चाहिए होती है जबकि अविवाहित महिलाएं गर्भ-निरोधक के काम नहीं करने को गर्भपात की वजह नहीं बता सकतीं।
20 हफ्ते से बढ़ाया जाएगा गर्भपात के लिए वक्त
सूत्रों ने बताया है कि इसके साथ ही खास मामलों में गर्भावधि को भी 20 हफ्ते से बढ़ाकर 24 हफ्ते किए जाने का प्रस्ताव भी है। इसमें दिव्यांग और सिंगल महिलाएं भी शामिल होंगी। इसके अलावा भ्रूण में कोई असमान्यता होने पर 20 हफ्ते की गर्भावधि के बाद किसी भी वक्त गर्भपात की इजाजत भी प्रस्तावित है। अभी यह सिर्फ 20 हफ्ते के अंदर ही किया जा सकता है।
सिंगल महिलाओं के लिए राहत
कानून के तहत मां की जान को खतरा होने पर, रेप के कारण गर्भधारण होने पर, बच्चे के शारीरिक-मानसिक दुर्बल होने पर या गर्भ-निरोधक के काम न करने पर गर्भ को 20 हफ्ते के अंदर ही गिराया जा सकता है। सूत्रों ने बताया है कि सरकार के अविवाहित महिलाओं को लेकर कानून में साफ-साफ शामिल करने से सिंगल महिलाओं की सेक्शुअल ऐक्टिविटी से जुड़ा सामाजिक टैबू भी कम होगा।