अहमदाबाद
कमलेश तिवारी हत्याकांड में आरोपी अशफाक और मोइनुद्दीन की गिरफ्तारी के बाद गुजरात एटीएस ने बड़े खुलासे किए हैं. उनका कहना है कि आरोपी अशफाक और मोइनुद्दीन हत्या को लेकर साल 2015 से प्लानिंग कर रहे थे.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल गुजरात एटीएस को पूछताछ में जो जानकारी मिली वो बेहद चौंकाने वाली थी. पूछताछ में पता चला कि 2015 में कमलेश तिवारी ने जो बयान दिया उसकी वजह से अशफाक और मोइनुद्दीन काफी आहत थे. इस वजह से उन दोनों ने 2015 से ही कमलेश तिवारी की हत्या की प्लानिंग करने लगे थे लेकिन हत्या को अंजाम कैसे दिया जाए ये तय नहीं कर पा रहे थे.
क्या थी पूरी प्लानिंग?
कमलेश तिवारी की हत्या की प्लानिंग को लेकर आरोपी अशफाक और मोइनुद्दीन सूरत में अलग-अलग मौलाना से भी मिले थे. वहीं आरोपियों के मुताबिक इस बात पर जब मौलाना से चर्चा की गई. तब उन्होंने ने भी इस हत्या को इस्लाम में वाजीब कहा था.
गुजरात एटीएस के सूत्रों के मुताबिक मौलाना ने इस कत्ल को वाजीब-ए-कत्ल कहा था. जिसका मतलब होता है 'इस्लाम के मुताबिक ये कत्ल धर्म की रक्षा के लिए सही था'. कत्ल को सही ठहराने के बाद मौलान मौसीन शेख भी इस हत्या की साजिश में इन लोगों के साथ जुड़ गया. मौसीन शेख को भी गुजरात एटीएस की टीम ने हत्या के 24 घंटों के अंदर ही सूरत से गिरफ्तार कर लिया था.
हत्या की पूरी वारदात
गुजरात एटीएस चीफ हिमांशु शुकला ने बताया, 'मोइनुद्दीन को जब गिरफ्तार किया गया तब उसकी उंगलियों पर चोट आई हुई थी. चोट के बारे में जब पूछताछ की गई तब मोइनुद्दीन ने एटीएस को बताया कि जब वे लोग कमलेश तिवारी की हत्या करने के लिए लखनऊ के दफ्तर में गये थे. उस वक्त अशफाक ने पहले चाकू निकाल कर कमलेश तिवारी का गला काटने की कोशिश की. कमलेश तिवारी के चिखने पर मोइनुद्दीन ने उसका गला दबा दिया.
आगे पूछताछ में बताया कि उन लोगों ने कमलेश तिवारी के शरीर के कई हिस्सों पर वार किया. इसी बीच अशफाक ने कमलेश तिवारी के सर पर फायरिंग की. लेकिन गोली उसके मुंह के पास और मोइनुद्दीन की उगंली को छेदती हुई कमलेश तिवारी को लग गई. मोइनुद्दीन भी कमलेश को मारने के लिए चलाई गोली से घायल हो गया. हालांकि अशफाक खुद एमआर होने की वजह वहीं पास से दवा ली और हाथ का ड्रेसिंग कर लिया.