राजनीति

एमएनस का 9 फरवरी का मोर्चा सीएए के समर्थन में नहीं: राज ठाकरे

मुंबई
सीएए के मुद्दे पर एमएनस (महाराष्‍ट्र नवनिर्माण सेना) प्रमुख राज ठाकरे ने अपनी भूमिका बदल ली है। 23 जनवरी को गोरेगांव में हुए पार्टी के अधिवेशन में राज ठाकरे ने मोदी सरकार द्वारा लाए गए नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का समर्थन करने की बात कही थी, लेकिन अब उन्होंने भूमिका में संशोधन किया है। अब एमएनस का 9 फरवरी का मोर्चा सीएए के समर्थन में नहीं, बल्कि पाकिस्तानी और बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ उन्हें देश से बाहर खदेड़ने की मांग के लिए निकाला जाएगा। मंगलवार को पार्टी नेताओं के साथ अपने घर पर बैठक के बाद राज ठाकरे ने अपनी भूमिका में यह बदलाव किया है।
बता दें कि राज ठाकरे के 23 जनवरी के भाषण में सीएए को समर्थन देने के बाद बड़ी संख्या में पार्टी के आम कार्यकर्ता असमंजस में थे कि जिस मुद्दे के विरोध में बड़ी संख्या में युवा वर्ग सड़क पर है, उसे समर्थन देने से कहीं पार्टी का सबसे बड़ा युवा वर्ग समर्थक नाराज न हो जाए। इस असमंजस को लेकर पार्टी के नेताओं ने मंगलवार को राज से उनके घर पर मुलाकात की और जनमानस की भावना से उन्हें अवगत कराया।

‘मीडिया ने बात को सही ढंग से नहीं समझा’
बैठक के बाद , एमएनएस नेता बाला नांदगांवकर ने बताया कि राज ठाकरे ने मीटिंग में नेताओं से कहा है कि 23 जनवरी को उनकी बात को मीडिया ने सही ढंग से नहीं समझा। उन्होंने घुसपैठियों को देश से बाहर करने की बात कही थी, न कि सीएए के समर्थन की। एमएनस नेता ने कहा कि राज ठाकरे और एमएनएस शुरू से ही पाकिस्तानी और बांग्लादेशी घुसपैठियों को देश से भगाने का समर्थन करती आई है। उन्‍होंने कहा कि राज ठाकरे का कहना है कि देश की जनसंख्या पहले ही 135 करोड़ है, अब और कितने लोगों को नागरिकता देंगे?

सीएए पर भूमिका बदलकर बढ़ाया सस्‍पेंस
उल्लेखनीय है कि राज ठाकरे ने अपनी पार्टी एमएनएस ने हाल ही में नई शुरुआत करने का ऐलान किया है। हालांकि राज ठाकरे की नई रणनीति के तहत उनके बीजेपी के साथ जाने की चर्चा है, पर राज ठाकरे ने अभी इस बारे में खुलकर कुछ नहीं कहा है और सस्पेंस बरकरार रखा है। सीएए के समर्थन से ऐसा लगा था कि लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ धुआंधार प्रचार करने वाले राज ठाकरे बीजेपी से जुड़कर शिवसेना की जगह लेना चाहते हैं। लेकिन हाल ही में मोदी सरकार द्वारा अदनान सामी को पद्म पुरस्कार दिए जाने का विरोध कर और अब सीएए के समर्थन पर अपनी भूमिका बदलकर राज ठाकरे ने इस सस्पेंस को और बढ़ा दिया है।

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