लखनऊ
बिजली कर्मियों के पीएफ घोटाले में गिरफ्तार किये गये पावर कॉरपोरेशन के पूर्व एमडी एपी मिश्रा की कारगुजारियों की पोल अब खुलने लगी है। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक उनके ही कार्यकाल में चार साल पहले यानि वर्ष 2015 में पांच अरब रुपये के बिलिंग घोटाला हुआ था। यह घोटाला एक निजी कंपनी के सिस्टम में हेराफेरी कर किया गया। इस घोटाले में भी पावर कॉरपोरेशन के तत्कालीन एमडी की भूमिका पर सवाल उठे थे। एसटीएफ ने जोरशोर से जांच शुरू की लेकिन ऊपर के दबाव में मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
यूपी पावर कॉरपोरेशन में चार साल पहले पांच अरब रुपये का बिलिंग घोटाला हुआ था। इसके जरिये बिजली बिल कम करके पावर कारपोरेशन को करोड़ों की चपत लगाई गई थी। मामले का खुलासा होने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के आदेश पर एसटीएफ ने 17 अप्रैल 2015 को महानगर से बिलिंग सिस्टम में सेंध लगाने वाले एचसीएल के दो इंजीनियरों पंकज सिंह, परवेज अहमद और अमित टंडन समेत जालसाजों को गिरफ्तार किया था।
फर्जी यूजर आईडी और पासवर्ड बनाते थे
ये तीनों पावर कारपोरेशन के अधिकारियों के मिलते-जुलते नामों से बिलिंग साफ्टवेयर की फर्जी यूजर आईडी और पासवर्ड बनाते थे। उपभोक्ताओं के बिजली का बिल कम करके पावर कारपोरेशन को करोड़ों की चपत लगा रहे थे। जांच पड़ताल आगे बढ़ने के साथ ही पावर कॉरपोरेशन के कई बड़े अधिकारियों के नाम भी आने लगे।
200 यूजर आईडी का ब्यौरा नहीं उपलब्ध कराया
पावर कॉरपोरेशन अभी तक एसटीएफ को प्रदेश के लगभग 200 यूजर आईडी का ब्यौरा उपलब्ध नहीं करा सका है। अधिकारिक सूत्रों का दावा है कि देरी के कारण दोषी अधिकारियों को अपनी संलिप्तता के सबूत छिपाने का मौका मिल गया और असली दोषियों पर अब तक कार्रवाई नहीं हुई।