नई दिल्ली
भारती एयरटेल और रिलायंस जियो गुरुवार को दूरसंचार विभाग को एजीआर की रकम चुका सकती हैं। सूत्रों के मुताबिक, एयरटेल लाइसेंस फीस की मूल 5,528 करोड़ रुपए तो रिलायंस जियो 175 करोड़ रुपए चुका सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में टेलिकॉम कंपनियों को 23 जनवरी तक एजीआर की बकाया रकम ब्याज सहित चुकाने को कहा है। इन कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट से और समय मांगा है। इस मामले की सुनवाई अगले सप्ताह होगी। वहीं, सरकारी कंपनी आॅइल इंडिया ने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) मामले पर सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया है।
आॅइल इंडिया ने कहा कि कंपनी ने यह मामला दूरसंचार विभाग, पेट्रोलियम मिनिस्ट्री और दूरसंचार कंपनियों के सामने उठाया है। दूरसंचार विभाग ने आॅइल इंडिया से भी 48,000 करोड़ रुपए की मांग की है। आॅइल इंडिया के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर सुशील चंद्र मिश्रा ने कहा कि वह इस डिमांड को टेलिकॉम डिस्प्यूट्स सैटलमेंट एंड अपीलेट ट्रिब्यूनल में चुनौती देंगे।
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने कई गैर टेलिकॉम कंपनियों से होने वाले टेलिकॉम रेवेन्यू के बारे में बात की। इस हिसाब से बकाया और इंट्रेस्ट जोड़कर 2 लाख करोड़ रुपए हो रहे हैं। भारत सरकार टेलिकॉम लाइसेंस रखने वाली हर कंपनी से अजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू का 8 पर्सेंट लाइसेंस फीस ले रही है। दूरसंचार विभाग और टेलिकॉम कंपनियों के बीच पिछले 14 साल से यह लड़ाई चल रही थी। 24 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने दूरसंचार विभाग के पक्ष में यह फैसला सुना दिया।
वहीं, वोडाफोन आइडिया ने डिपार्टमेंट आॅफ टेलिकॉम (डीओटी) को बताया है कि वह अजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) से जुड़ी मॉडिफिकेशन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने का इंतजार करेगी। इसका मतलब यह है कि वह सरकार को 23 जनवरी की डेडलाइन तक कोई पेमेंट नहीं करेगी। एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने बताया हमें वोडाफोन आइडिया का एक संदेश मिला है। उसमें कंपनी ने कहा है कि वह अपनी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का इंतजार कर रही है। उस याचिका में कंपनी ने एजीआर से जुड़े बकाये के भुगतान की शर्तों में ढील दिए जाने पर दूरसंचार विभाग के साथ बातचीत करने की इजाजत मांगी है। उसने कहा है कि निर्णय आने के बाद ही इस मामले में वह कोई कदम उठाएगी। उन्होंने कहा कोर्ट दूरसंचार कंपनियों के आवेदनों पर सुनवाई करने के लिए राजी हो गया है, लेकिन उसने साफ तौर पर यह नहीं कहा है कि इन कंपनियों को एजीआर से जुड़ा बकाया चुकाना है या उन्हें ऐसा नहीं करना है। तकनीकी रूप से यह मामला साफ नहीं है।
अधिकारी ने कहा कि दूरसंचार विभाग इस तरह के कारण बताओ नोटिस जारी करने जैसे कदम उठाने से परहेज कर सकता है, जिसमें कहा जाए कि पेमेंट न करने पर कंपनियों के परमिट क्यों न कैंसल कर दिए जाएं। विभाग 24 जनवरी तक इंतजार करेगा जो कोर्ट की ओर से अक्टूबर में तय डेडलाइन का अगला दिन है। विभाग उसके बाद ही कोई अगला कदम उठाएगा। वह इस मामले में कानूनी राय मांग सकता है। अधिकारी ने कहा, या हो सकता है कि सरकार अगली सुनवाई तक इंतजार करे और कोर्ट के सामने तथ्य रखे।