मध्य प्रदेश

एक सरकार-एक कैबिनेट, तीन अफसर-तीन आदेश… जानिए आखिर क्या है कहानी

भोपाल
मध्यप्रदेश कैबिनेट की बैठक। पोषण आहार पर 23 नंबर का एजेंडा। एक ही मिनट में सभी ने कहा- ओके, और आनन-फानन में प्रस्ताव पास हुआ। बैठक से बाहर निकलते ही  पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की तत्कालीन अपर मुख्य सचिव गौरी सिंह ने निर्णय के प्रारूप का आदेश जारी कर दिया। 14 बिंदुओं के इस आदेश की खास बात यह थी कि 13 साल से टेकहोम राशन सप्लाई में एमपी एग्रो के साथ लगी तीन निजी कंपनियों के सालाना 950 करोड़ रु. के एकाधिकार को ध्वस्त कर दिया गया था।

14 बिंदुओं के आदेश में कंडिका 11 में साफ लिख दिया गया कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि एमपी एग्रो किसी भी रूप में निजी संस्था, ठेकेदार या आउटसोर्स एजेंसी को टेकहोम राशन के उत्पादन/संचालन कार्य में सम्मिलित नहीं करेगा। जैसे ही यह आदेश प्रमुख सचिव खाद्य विभाग अौर सीईओ ग्रामीण आजीविका मिशन के पास पहुंचा, पूरे मंत्रालय में हलचल मच गई।

माना जा रहा था कि सरकार की मंशा ऐसा करने की बिल्कुल नहीं थी। इसी के कुछ दिन बाद यह साफ भी हो गया, जब मुख्य सचिव ने कैबिनेट मीटिंग के मिनिट्स जारी किए। उन्होंने कंडिका 11 को विलोपित करने की बात कह दी। सारे विभाग हैरत में थे कि वो किसकी बात मानें। कैबिनेट की बैठक के ठीक 50 दिन बाद 16 जनवरी 2020 को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के उप सचिव एसआर चौधरी ने एक नया आदेश निकाला।

 इस आदेश में कंडिका 11 को हटा दिया गया और एक बार फिर टेकहोम राशन के कारोबार में निजी कंपनियों का रास्ता खुल गया। उप सचिव के इस आदेश पर मंत्री कमलेश्वर पटेल और विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव की सहमति थी।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की तत्कालीन अपर मुख्य सचिव गौरी सिंह ने कैबिनेट की इस बैठक के बाद 20 दिसंबर को अचानक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने की घोषणा कर दी। उनके बाद मनोज श्रीवास्तव ने इस विभाग का जिम्मा संभाला। गौरी की विदाई को लेकर विधानसभा में भी कई सवाल उठे थे और कुछ विधायकों ने कहा था कि पोषण आहार पर वे सरकार की नीति से सहमत नहीं हैं। यह भी पहली बार हुआ है कि पीएस द्वारा तैयार कैबिनेट निर्णय का प्रारूप बाद में बदल दिया गया।

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