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इस साल देश में चीनी कम, उत्पादन 22% घटने से दाम बढ़ने की आशंका

नई दिल्ल

देश में चीनी का उत्पादन चालू गन्ना पेराई सत्र के पांच महीने के दौरान पिछले साल के मुकाबले करीब 22 फीसदी घट गया. इसके अलावा इंडोनेशि‍या जैसे कई देशों में चीनी की मांग बढ़ जाने से निर्यात भी बढ़ सकता है. इसकी वजह से इस साल घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में इजाफा हो सकता है.

कितना हुआ उत्पादन

चीनी उद्योग के शीर्ष संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, देशभर में चालू सीजन के दौरान 29 फरवरी तक 194.84 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ जोकि पिछले साल की इसी अवधि के उत्पादन के मुकाबले 21.84 फीसदी कम है.

चीनी उत्पादन व मार्केटिंग वर्ष 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) के पहले पांच महीने के दौरान देशभर की 453 चीनी मिलों में कुल चीनी का उत्पादन जहां 194.84 लाख टन हुआ, वहां पिछले साल इसी अवधि के दौरान 520 मिलों में चीनी का कुल उत्पादन 249.30 लाख टन हुआ था.

68 मिलों ने बंद किया उत्पादन

न्यूज एजेंसी आईएएएनस के मुताबिक, चालू गन्ना पेराई सीजन में 453 चीनी मिलों में उत्पादन शुरू हुआ था जिनमें से 68 मिलों ने उत्पादन बंद कर दिया है. महाराष्ट्र में चीनी का कुल उत्पादन चालू सीजन में 50.70 लाख टन हुआ है, जहां पिछले साल इसी अवधि में 92.88 लाख टन हुआ था. प्रदेश की 145 मिलों में से 25 मिलों में उत्पादन बंद हो चुका है. गन्ने की उपलब्धता नहीं होने के कारण इन मिलों ने अपना ऑपरेशन बंद कर दिया है.

देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में चालू सीजन में 29 फरवरी तक चीनी का उत्पादन 76.86 लाख टन हुआ है जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान 73.87 लाख टन हुआ था. वहीं, कर्नाटक में 29 फरवरी तक चीनी का उत्पादन 32.60 लाख टन हुआ जबकि पिछले साल इस अवधि के दौरान 41.73 लाख टन हुआ था.

कितना हुआ निर्यात

इस्मा के अनुसार, इस साल अब तक 35 लाख टन चीनी निर्यात के सौदे हुए हैं जिसमें से 22-23 लाख टन चीनी का निर्यात हो चुका है. पिछले साल इंडोनेशिया में गंभीर सूखा पड़ने के कारण इसके घरेलू बाजार में चीनी की मांग काफी बढ़ गई है, जिसका पूरा लाभ भारत की चीनी मिल उठाना चाहेंगे.

यही कारण है कि भारतीय मिलें अपने भंडार को कम करते हुए चीनी निर्यात करने को उत्सुक हैं. इससे मिलों को अच्छी आमदनी होने और उनकी लिक्व‍िवडिटी की स्थिति सुधरने की पूरी उम्मीद है. अपनी इस घरेलू मांग को पूरा करने के लिए इंडोनेशिया भारत से कच्ची चीनी आयात को पहले ही मंजूरी दे चुका है.

 

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