इंदौर
मध्यप्रदेश के इंदौर जिले (Indore District) में रविवार को प्रशासन के वक्त रहते हरकत में आने से 14 साल की लड़की बालिका वधू (Child Bride) बनने से बच गयी. महिला और बाल विकास विभाग (Women and Child Development Department) के एक अधिकारी ने बताया कि जिले के केलोद कांकड़ गांव में इस नाबालिग लड़की की शादी 21 वर्षीय युवक से 20 नवंबर को होने वाली थी. इसकी सूचना मिलने के तत्काल बाद प्रशासन तथा पुलिस की टीम लड़की के घर पहुंची और शादी की रस्में बंद करवाई गईं.
एक गैर सरकारी संगठन की रिपोर्ट के अनुसार विश्व में होने वाले कुल बाल विवाह का 33 फीसदी अकेले भारत में होता है. विश्व में हर मिनट में 28 बाल विवाह होता है जिसमें से दो शादियां भारत में होती हैं.
मौके पर पहुंचे अधिकारी ने बताया कि प्रशासन के कानूनी कदम उठाने की चेतावनी देने पर लड़की के परिजन उसका बाल विवाह रोकने को राजी हो गये। उनसे बाकायदा शपथ पत्र लिया गया कि वे अपनी संतान को तब तक शादी के बंधन में नहीं बांधेंगे, जब तक वह पूरे 18 साल की नहीं हो जाती.
देश में 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के और 18 साल से कम आयु की लड़की की शादी बाल विवाह की श्रेणी में आती है. बाल विवाह कानूनन अपराध है. बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत दोषी को दो वर्ष तक के सश्रम कारावास अथवा एक लाख रुपये तक के जुर्माने या दोनों सजाओं का प्रावधान है.