नई दिल्ली
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना अपनी चार दिवसीय यात्रा पर भारत में हैं. दोनों देशों के बीच अच्छे द्विपक्षीय रिश्तों के लिए शेख हसीना की ये यात्रा अहम मानी जा रही है. इस दौरान दोनों देशों के बीच कई अहम समझौते होने की उम्मीद है. इन समझौते में दोनों देशों के आर्थिक हित की कई बातें होंगी. लेकिन सवाल है कि आर्थिक मोर्चे पर भारत और बांग्लादेश कौन कहां टिकता है. आइए आंकड़ों से समझते हैं.
महंगाई का क्या है हाल?
दोनों देशों की सालाना महंगाई के आंकड़ों की बात करें तो भारत भारी पड़ता है. बांग्लादेश की 2019 की अनुमानित महंगाई दर 5.5 फीसदी है तो वहीं भारत में इस साल महंगाई के आंकड़े 3.5 फीसदी पर रहने के अनुमान हैं. इससे पहले साल 2018 में भारत और बांग्लादेश के महंगाई के आंकड़े क्रमश: 3.4 फीसदी और 5.8 फीसदी पर थे.
क्या कहते हैं जीडीपी के आंकड़े?
सालाना आधार पर बांग्लादेश की विकास दर यानी जीडीपी के आंकड़े भारत के मुकाबले ज्यादा मजबूत हैं. साल 2018 में बांग्लादेश की जीडीपी 7.9 फीसदी रही थी. वहीं भारत की जीडीपी के आंकड़े 6.8 फीसदी थे. अगर 2019 की बात करें तो भारत में 6.5 फीसदी और बांग्लादेश में 8.1 फीसदी की ग्रोथ रहने का अनुमान है.
बांग्लादेश के एक्सपोर्ट और इंपोर्ट का हिसाब-किताब
बीते कुछ सालों में बांग्लादेश के भारत को एक्सपोर्ट में बढ़ोतरी हुई है तो वहीं इंपोर्ट में भी इजाफा हुआ है. साल 2017-2018 में बांग्लादेश ने भारत को 873.27 मिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट किया. वहीं भारत से 8621.50 मिलियन डॉलर का इंपोर्ट बांग्लादेश के लिए हुआ.
बढ़ रही बांग्लादेश के निर्यात की क्षमता
बांग्लादेश की इकोनॉमी की संरचना भारत की अर्थव्यवस्था से काफी अलग है. भारत की जनसंख्या का बड़ा हिस्सा अभी भी कृषि क्षेत्र में अटका हुआ है, जो जीडीपी में सबसे कम योगदान देता है. वहीं औद्योगिक क्षेत्र अब भी रफ्तार पकड़ने और रोजगार पैदा करने के लिए संघर्ष कर रहा है. वहीं बांग्लादेश का औद्योगिक क्षेत्र कम होने के बावजूद तेजी से बढ़ रहा है. बांग्लादेश के घरेलू उद्योगों की मजबूती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि साल 2018 में निर्यात 6.7 फीसदी से बढ़कर 10.1 फीसदी पर पहुंच गया है.
बांग्लादेश के निर्यात के ये आंकड़े ऐसे समय के हैं जब दुनिया की दो महाशक्तियां अमेरिका और चीन एक साल से व्यापारिक मोर्चे पर आमने-सामने हैं. दरअसल, दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव और आर्थिक मंदी जैसे हालात की वजह से वैश्विक मांग घट रही है. इसके बावजूद अलग-अलग सेक्टर में बांग्लादेश के निर्यात में बढ़ोतरी हो रही है. इसके साथ ही बांग्लादेश के कारोबार का विस्तार उन देशों में भी हो रहा है, जहां अब तक पहुंच नहीं थी.