भोपाल
प्रदेश सरकार आबकारी नीति में बड़े बदलाव करने जा रही है। इसके मुताबिक शराब की दुकानें अलग-अलग नीलाम करने के बजाए ठेकेदारों के समूहों को एक या दो जिलों की सभी दुकानें देने की तैयारी है। इतना ही नहीं, एक साल का लाइसेंस देने और अगले साल टेंडर करने की व्यवस्था को भी बदलकर दो साल का लाइसेंस दिया जा सकता है।
दरअसल, 16 साल पहले दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्री रहते शराब का कारोबार समूहों के ही हाथ में था। इसके बाद भाजपा के सत्ता में आने पर यह नीति बदल दी गई थी।अब एक बार फिर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आते ही यह नीति लागू होने जा रही है। मुख्यमंत्री कमलनाथ दिग्विजय की राह का अनुसरण करते हुएआबकारी नीति में बड़े बदलाव करने जा रही है।
नई नीति के तहत शराब की दुकानें अलग-अलग नीलाम करने के बजाए ठेकेदारों के समूहों को एक या दो जिलों की सभी दुकानें देने की तैयारी है। इतना ही नहीं, एक साल का लाइसेंस देने और अगले साल टेंडर करने की व्यवस्था को भी बदलकर दो साल का लाइसेंस दिया जा सकता है। आबकारी विभाग के आला अधिकारियों के साथ शराब कारोबारियों की चर्चा हो चुकी है। । एक अप्रैल से पहले शराब दुकानों की नए सिरे से नीलामी प्रस्तावित है। इसलिए प्रयास किया जा रहा है कि नीति में जल्द से जल्द बदलाव कर दिया जाए।
क्या होगा फायदा
आबकारी विभाग काे उम्मीद है कि इससे राजस्व बढ़ जाएगा। वर्ष 2018-19 में करीब 9000 करोड़ रेवेन्यू था, जिसे 2019-20 में बढ़ाकर 11500 करोड़ रुपए कर दिया गया। वही अभी प्रदेश में 1242 शराब कारोबारी है , इनमें से 700 के पास शराब की दुकानें हैं। पांच सौ ऐसे ठेकेदार हैं, जिनके पास दो दुकानें हैं। नीति बदली तो यह संख्या 50 से 100 के बीच रह जाएगी।