अध्यात्म

आप भी किसी मुसीबत में पड़ जाएं तो उसे झटक कर आगे बढ़ जाएं

जिंदगी में आदमी को बचने का प्रयास करना चाहिए, जो खुद भी प्रयासरत होता है भगवान भी उसका साथ देते हैं

भोपाल. बहुत समय पहले की बात है। किसी गांव में एक किसान रहता था। उसके पास बहुत सारे जानवर थे, उन्ही में से एक गधा भी था। एक दिन वह चरते-चरते खेत में बने एक पुराने सूखे हुए कुएं के पास जा पहुंचा और अचानक ही उसमें फिसल कर गिर गया। गिरते ही उसने जोर-जोर से चिल्लाना शुरू किया- ढेंचू-ढेंचू, ढेंचू-ढेंचू। उसकी आवाज़ सुनकर खेत में काम कर रहे लोग कुएं के पास पहुंचे। किसान को भी बुलाया गया।

किसान ने स्थिति का जायजा लिया, उसे गधे पर दया तो आई, लेकिन उसने मन में सोचा कि इस बूढ़े गधे को बचाने से कोई लाभ नहीं है। इसमें मेहनत भी बहुत लगेगी और साथ ही कुएं की भी कोई ज़रूरत नहीं है। फिर उसने बाकी लोगों से कहा, मुझे नहीं लगता कि हम किसी भी तरह इस गधे को बचा सकते हैं। अत: आप सभी अपने-अपने काम पर लग जाइए, यहां समय गंवाने से कोई लाभ नहीं।

और ऐसा कह कर वह आगे बढऩे को ही था की एक मजदूर बोला, मालिक, इस गधे ने सालों तक आपकी सेवा की है। इसे इस तरह तड़प-तड़प के मरने देने से अच्छा होगा की हम उसे इसी कुएं में दफना दें। किसान ने भी सहमती जताते हुए उसकी हां में हां मिला दी।

चलो हम सब मिल कर इस कुएं में मिटटी डालना शुरू करते हैं और गधे को यहीं दफना देते हैं, किसान बोला। गधा ये सब सुन रहा था और अब वह और भी डर गया। उसे लगा कि कहां उसके मालिक को उसे बचाना चाहिए, तो उलटे वो लोग उसे दफनाने की योजना बना रहे हैं। यह सब सुनकर वह भयभीत हो गया, पर उसने हिम्मत नहीं हारी और भगवान् को याद कर वहां से निकलने के बारे में सोचने लगा।

अभी वह अपने विचारों में खोया ही था कि अचानक उसके ऊपर मिट्टी की बारिश होने लगी, गधे ने मन ही मन सोचा कि भले कुछ हो जाए वह अपना प्रयास नहीं छोड़ेगा और आसानी से हार नहीं मानेगा। और फिर वह पूरी ताकत से उछाल मारने लगा।

किसान भी औरों की तरह मिटटी से भरी एक बोरी कुएं में झोंक दी और उसमें झांकने लगा। उसने देखा की जैसे ही मिटटी गधे के ऊपर पड़ती वो उसे अपने शरीर से झटकता और उछल कर उसके ऊपर चढ़ जाता। जब भी उसपे मिट्टी डाली जाती, वह यही करता झटकता और ऊपर चढ़ जाता, झटकता और ऊपर चढ़ जाता।

किसान भी समझ चुका था कि अगर वह यूं ही मिट्टी डलवाता रहा तो गधे की जान बच सकती है। फिर क्या था वह मिट्टी डलवाता गया और देखते-देखते गधा कुएं के मुहाने तक पहुंच गया, और अंत में कूद कर बाहर आ गया।

हमारी जिंदगी भी इसी तरह होती है। हम चाहे जितनी भी सावधानी बरतें कभी न कभी मुसीबत रुपी गड्ढे में गिर ही जाते हैं। पर गिरना प्रमुख नहीं है, प्रमुख है संभलना। बहुत से लोग बिना प्रयास किये ही हार मान लेते हैं, पर जो प्रयास करते हैं, भगवान् भी किसी न किसी रूप में उनके लिए मदद भेज देता है। यदि गधा लगातार बचने का प्रयास नहीं करता तो किसान के दिमाग में भी यह बात नहीं आती कि उसे बचाया जा सकता है। इसलिए जब अगली बार आप किसी मुसीबत में पड़ें तो कोशिश करिए कि आप भी उसे झटक कर आगे बढ़ जाएं।

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