नई दिल्ली
शनिवार को सुरक्षा बलों ने जम्मू कश्मीर के रामबन में हिजबुल मुजाहिद्दीन के तीन आतंकियों को मार गिराया था। मुठभेड़ पहले राजमार्ग के पास हुई। बाद में आतंकी वहां से भागकर मुख्य बाजार स्थित एक मकान में छुप गए। यहां उन्होंने घर के मालिक बीजेपी कार्यकर्ता को बंधक बना लिया था। पूरे 9 घंटे के अभियान के बाद सुरक्षा बलों ने 3 आतंकियों को मार गिराया। बंधक बनाए गए बीजेपी कार्यकर्ता विजय कुमार वर्मा ने 5 घंटे आतंकियों के साथ रहते हुए अपनी हालत के बारे में बताया।
उन्होंने कहा कि- 'शनिवार सुबह 11.30 बजे तीन आतंकी हमारे घर में घुस आए। उस समय मेरी पत्नी, मेरी बहू और एक पड़ोसी मेरे साथ थे। वहीं मेरे दोनों बेटे बाजार गए हुए थे। इन लोगों के पास हथियार थे। तीन में से एक की दाढ़ी थी जबकि दो क्लीन शेव थे। 20 से 30 साल की उम्र के ये लड़के कमरे में आकर बैठ गए। उन्होंने हमसे उस समय कोई बात नहीं की। तभी मेरा बड़ा बेटा आ गया। मेरी बहू आतंकियों के लिए पानी लाई तो उन्होंने पीने से मना कर दिया। मैंने इशारे से परिवार के लोगों को चुपचाप घर से निकल जाने को कहा। एक एक पर बहु, बेटा, पत्नी और पड़ोसी घर से बाहर निकल गए। लेकिन जब मैंने निकलने की कोशिश की तो एक आतंकी ने बंदूक दिखाकर मुझ नीचे बैठा दिया। उसने कहा चुपचाप बैठे रहो। मुझे मालूम था कि मैं बंधक हूं लेकिन परिवार के निकल जाने से शांत था। उन्होंने न मुझे गाली दी न मारा पीटा लेकिन मेरा फोन ले लिया। उन्होंने मेरे फोन से कश्मीरी भाषा में किसी से बात की। 12.15 बजे एनकाउंटर शुरू हो गया।
उन्होंने बताया कि जब सुरक्षा बलों ने उनका नाम पुकार कर उनके ठीक होने की जानकारी मांगी तो आतंकियों ने कि चिल्लाकर बता दो कि तुम ठीक हो। सुरक्षा बलों ने आतंकियों से सरेंडर करने को कहा और उनकी संख्या पूछी तो उन्होंने झूठ कह दिया कि वह 5 हैं। उन्होंने मुझसे पूछा गाड़ी है, मैंने झूठ बोल दिया कि नहीं है। वो लोग शायद श्रीनगर जाना चाहते थे। उनके पास हैंड ग्रेनेड, एके राइफल, पस्तौल और शायद इनसेस राइफल भी थी। उनके पास बैग था जिसमें बादाम थे उन्होंने मुझसे खाने को पूछा तो मैंने कहा मुंह में दांत नहीं हैं नहीं खा सकता। एक आतंकी मेरे साथ था जबकि दो दूसरे कमरे में थे। जब सुरक्षा बलों ने छुएं के गोले फेंके तो उन्होंने खुद को तकिए से बचाया और फिर आतंकियों ने भी ऐसा किया। उन्होंने बताया- थोड़ी देर बाद आतंकी हाल में गए तो मुझे मारो- मारो की आवाज सुनाई दी। निकल कर देखा तो कोई आतंकी नहीं था। मैंने हाथ ऊपर किए और बाहर भागा। सुरक्षा बलों ने मुझसे पूछा – क्या मैं विजय कुमार हूं। इसके बाद उन्होंने मुझे छुड़ाया।