नई दिल्ली
पिछले 12 दिनों से काम का बहिष्कार कर रहे जिला अदालतों के वकील शनिवार से अपने काम पर लौट रहे हैं। शुक्रवार शाम को वकीलों ने अपनी हड़ताल स्थगित करने का ऐलान किया। जिन दो पुलिसवालों की गिरफ्तारी की मांग वकील कर रहे थे, उन्हें हाई कोर्ट ने इस दिन गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दे दी है। जिला अदालतों के वकील संगठनों की को-ऑर्डिनेशन कमिटी ने शाम को अपने सदस्यों के साथ बैठक में यह फैसला लिया।
कमिटी अध्यक्ष महावीर शर्मा और सेक्रेटरी जनरल धीर सिंह कसाना की ओर से वकीलों को संदेश भेजकर फैसले की जानकारी दी गई। इसमें पदाधिकारियों ने कहा गया कि, 'हम माननीय हाई कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं। इसीलिए हड़ताल स्थगित की जाती है। शनिवार से काम शुरू कर दिया जाएगा। हम सभी सदस्यों के सहयोग के लिए उनका आभार व्यक्त करते हैं। 'ऐडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट' के लिए हमारी लड़ाई जारी रहेगी।' वकीलों का यह फैसला तब सामने आया जब दो पुलिसवाले हाई कोर्ट से अंतरिम संरक्षण पाने में कामयाब रहे, जिनकी गिरफ्तारी की मांग को लेकर वकील 4 नवंबर से हड़ताल पर थे। पवन कुमार और कांता प्रसाद नाम के इन दो पुलिसवालों पर 2 नवंबर को तीस हजारी कोर्ट में वकीलों पर कथित तौर पर गोली चलाने का आरोप है।
हाई कोर्ट से मिले निर्देश पर पुलिस ने इनके खिलाफ हत्या की कोशिश का मुकदमा दर्ज किया है। वकील इनकी गिरफ्तारी की जिद पर अड़े थे, तो पुलिस अधिकारी न्यायिक जांच की रिपोर्ट आने तक इंतजार करने के लिए कह रहे थे। इस तनातनी के बीच पिछले 12 दिनों से वकील और पुलिसवालों के बीच यह विवाद चल था। हड़ताल से उत्तर प्रदेश का उन्नाव रेप केस और बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम यौन शोषण जैसे मामलों की कार्यवाही भी अधर में लटक गई, जिनमें फैसलों के लिए सुप्रीम कोर्ट से डेडलाइन तय है।
हड़ताल वापस लेने के लिए वकीलों को सुप्रीम कोर्ट से लेकर बार काउंसिल ऑफ इंडिया तक से निर्देश और चेतावनी मिल रही थीं। बावजूद इसके वकील दोनों पुलिसवालों की गिरफ्तारी पर अड़े थे। उन्होंने 20 नवंबर को संसद के घेराव तक की घोषणा कर दी। इसी बीच कथित आरोपी पुलिसकर्मी गिरफ्तारी से संरक्षण के लिए हाई कोर्ट पहुंच गए। इधर, कोर्ट ने उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी।
उधर, शुक्रवार शाम को वकीलों ने अपनी हड़ताल वापस लेने की अचानक से घोषणा कर सबको हैरान कर दिया। वकील नेताओं के मुताबिक, अदालत परिसर में वकीलों की सुरक्षा को लेकर उनकी चिंता अभी भी बरकरार है। को-ऑर्डिनेशन कमिटी के अध्यक्ष होने साथ रोहिणी कोर्ट बार असोसिएशन के भी प्रेसिडेंट महावीर शर्मा ने कहा, 'हम कोर्ट परिसर में सुरक्षित नहीं हैं। पुलिसवालों को ऐसी स्थिति से निपटने के लिए खास ट्रेनिंग दी जाती है। जैसे कि तीस हजारी कोर्ट में 2 नवंबर को सामने आई। पुलिसवालों के अपराध में शामिल होने से अपराध की गंभीरता और बढ़ जाती है।'
एएसआई कांता प्रसाद यादव और पवन कुमार की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा, 'जांच पूरी होने तक दोनों अधिकारियों के खिलाफ दर्ज तीन एफआईआर के तहत कोई दंडात्मक कार्रवाई न की जाए।' दोनों अधिकारियों को हिंसक झड़प की घटना के बाद निलंबित कर दिया गया था। दोनों पुलिसकर्मियों का पक्ष रख रहीं वकील राजदीपा बेहुरा ने कोर्ट में कहा, 'मैं यहां अग्रिम जमानत के लिए नहीं आई हूं। मेरी सिर्फ इतना ही कहना है कि जब तक मामले में जांच चल रही है, तब तक पुलिसकर्मियों पर दंडात्मक कार्रवाई न की जाए।' इसके साथ ही बेहुरा ने वकीलों से भी स्ट्राइक खत्म कर काम पर लौटने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि दोनों के बीच एकता खत्म होने से संस्था को नुकसान हो रहा है।
11 दिनों से दिल्ली की जिला अदालतों में ठप था काम
बता दें कि पुलिसकर्मियों के साथ हिंसक झड़प के बाद वकीलों ने 4 नवंबर से ही कामकाज ठप कर रखा था। लेकिन 11वें दिन उन्होंने हड़ताल खत्म करने का ऐलान किया। बता दें कि दिल्ली में कुल 6 जिला अदालतें और तीस हजारी घटना के विरोध में सभी में वकील हड़ताल पर चले गए थे।