नई दिल्ली
नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ देशभर में विरोध बढ़ता जा रहा है. जो प्रदर्शन पहले पूर्वोत्तर में हो रहा था, अब दिल्ली, लखनऊ, अलीगढ़, मुंबई जैसे शहरों तक पहुंच गया है. रविवार को दिल्ली के जामिया इलाके में प्रदर्शन ने हिंसक रूप भी ले लिया. एक ओर इस कानून का सड़कों पर विरोध हो रहा है, तो दूसरी ओर अदालत में भी इसके खिलाफ कानून लड़ाई लड़ी जा रही है. सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार के इस कानून के खिलाफ कई याचिकाएं डाली गई हैं और जल्द सुनवाई की मांग की जा रही है.
सुप्रीम कोर्ट में कानून के खिलाफ कई याचिकाएं
अभी तक नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ 15 याचिकाएं दायर की गई हैं. सोमवार को कांग्रेस की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाएगी कि इस मामले में जल्द से जल्द सुनवाई की जाए. सर्वोच्च अदालत में जो अभी तक याचिकाएं दायर की गई हैं, उनमें पीस पार्टी, रिहाई मंच, जयराम रमेश, प्रद्योत देब बर्मन, जन अधिकार पार्टी, एमएल शर्मा, AASU, असदुद्दीन ओवैसी, महुआ मोइत्रा की याचिकाएं शामिल हैं.
इन याचिकाओं के अलावा सोमवार को भी कुछ नई याचिकाएं सर्वोच्च अदालत में दायर की जा सकती हैं. असम कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रिपुन बोरा भी सोमवार को नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ याचिका दायर करेंगे और जल्द सुनवाई की अपील करेंगे.
CJI कोर्ट के सामने उठेगा मुद्दा
कांग्रेस नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी आज सुबह साढ़े दस बसे चीफ जस्टिस एस. ए. बोबड़े की कोर्ट के सामने इस याचिका को मेंशन करेंगे और जल्द सुनवाई की अपील करेंगे.
असम गण परिषद् के जोली नाथ सरमाह का कहना है कि उनकी पार्टी इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करेगी. इसके साथ ही पार्टी प्रमुख की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करेगा.
गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान से आने वाले हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, ईसाई, पारसी शरणार्थियों को भारत में नागरिकता आसानी से मिल जाएगी. इसके अलावा नागरिकता मिलने का समय भी 11 साल से घटाकर 6 साल कर दिया गया है. विपक्ष का आरोप है कि सरकार सिर्फ एक धर्म विशेष को इस बिल के बाहर रख रही है, जो संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन है.