नई दिल्ली
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर रिव्यू पिटिशन दाखिल करने का ऐलान किया है. साथ ही मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन न लेने का निर्णय किया है. ऐसे में अब अयोध्या मामला एक बार फिर देश की शीर्ष अदालत में पहुंच सकता है. बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसन नदवी की अध्यक्षता में रविवार को लखनऊ में हुई बैठक के बाद बोर्ड के सदस्यों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कई विरोधाभास हैं, ऐसें में रिव्यू पिटिशन दाखिल करने का फैसला किया गया है.
रिव्यू पिटिशन दायर करने को राजी ये पक्षकार
अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट में कुल 8 मुस्लिम पक्षकार थे. ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर मुस्लिम पक्षकारों में से पांच ने रिव्यू पिटिशन दाखिल करने का फैसला किया है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी ने रविवार को बताया कि मुस्लिम पक्षकारों में से मिसबाहुद्दीन, मौलाना महफूजुर्रहमान, मोहम्मद उमर और हाजी महबूब ने पुनर्विचार याचिका दायर करने पर अपनी सहमति AIMPLB को दे दी है. इसके अलावा जमीयत उलेमा-ए-हिंद (हामिद मोहम्मद सिद्दीकी) की ओर से मौलाना अरशद मदनी ने भी रिव्यू पिटिशन दाखिल करने का ऐलान किया है.
रिव्यू पिटिशन दाखिल नहीं करेंगे ये पक्षकार
अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर मुस्लिम पक्षकारों में इकबाल अंसारी पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि हमने कोर्ट के फैसले का सम्मान किया, ऐसे में हम अब इस मामले को यहीं पर खत्म कर देना चाहते हैं और अब पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करेंगे. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जुफर फारूकी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके साफ कर दिया कि वह शीर्ष फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करेगा.
मुस्लिम पक्षकार क्या कहते हैं?
बाबरी मस्जिद के मुकदमे के वादी मौलाना महफूजुर्रहमान के प्रतिनिधि खालिक अहमद ने aajtak.in से बात करते हुए कहा कि वह मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ हैं और पुनर्विचार याचिका उनकी तरफ से दायर की जाएगी. मुस्लिम पक्षकार मोहम्मद उमर भी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सुर में सुर मिला रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर करने पर सहमत हैं.
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला मुस्लिम पक्ष के खिलाफ आया है. मदनी ने कहा, 'हमें पता है सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका 100 प्रतिशत खारिज हो जाएगी, लेकिन पुनर्विचार याचिका दाखिल करना हमारा अधिकार है और हमें इसका इस्तेमाल करना चाहिए.'
कुल मुस्लिम पक्षकार
अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट में कुल 14 अपीलें दायर की गई थीं. इनमें से 6 याचिकाएं हिंदुओं की तरफ से हैं और 8 मुस्लिम पक्षकारों की ओर से दाखिल की गई थीं. मुस्लिम पक्षकारों में सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड, जमीयत उलेमा-ए-हिंद (हामिद मोहम्मद सिद्दीकी), इकबाल अंसारी, मौलाना महमूदुर्रहमान, मिसबाहुद्दीन, मौलाना महफूजुर्रहमान मिफ्ताही, मोहम्मद उमर, हाजी महबूब और मौलाना असद रशीदी शामिल थे. AIMPLB इस मामले में सीधे तौर पर शामिल नहीं था, लेकिन मुस्लिम पक्षकार की ओर से पूरा मामला उसी की निगरानी में चल रहा था.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले पर 9 नवंबर को अपना फैसला सुनाया. देश की शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में अयोध्या की 2.77 एकड़ विवादित जमीन रामलला विराजमान को राम मंदिर बनाने के लिए दे दी है. जबकि मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन देने का निर्देश सरकार को दिया है. साथ ही यह भी निर्देश दिया कि मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार एक ट्रस्ट बनाए और उसमें निर्मोही अखाड़े को भी प्रतिनिधित्व दिया जाए. हालांकि, निर्मोही अखाड़े का दावा सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया था लेकिन मंदिर के ट्रस्ट में उसक हिस्सेदारी सुनिश्चित कर दी.