भोपाल
हमीदिया अस्पताल अब प्रदेश का पहला सरकारी ट्रांसप्लांट सेंटर बन गया है। मंगलवार को गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) के डीन डॉ. टीएन दुबे ने सेंटर के मान्यता संबंधी आदेश जारी कर दिए। अब यहां जनवरी से किडनी ट्रांसप्लांट शुरू करने की तैयारी है। अभी यहां सिर्फ लाइव (जीवित) किडनी ट्रांसप्लांट किए जाएंगे। बाद में ब्रेन डेड मरीजों से दान में मिली किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा भी शुरू की जाएगी।
बता दें कि ट्रांसप्लांट सेंटर की मान्यता के लिए इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज की टीम 10 दिन पहले निरीक्षण करने आई थी। इस टीम ने ऑपरेशन थिएटर, आईसीयू आदि का जायजा लिया था। साथ ही जांच सुविधाएं, डॉक्टर व अन्य स्टाफ के बारे में जानकारी ली थी। बता दें कि संभाग के सभी अस्पतालों ट्रांसप्लांट सेंटर करने की मान्यता जीएमसी देता है।
हमीदिया अस्पताल के किडनी रोग विशेषज्ञ (नेफ्रोलॉजिस्ट) डॉ. हिमांशु शर्मा ने बताया कि मान्यता मिलने के बाद ट्रांसप्लांट शुरू करने में करीब डेढ़ महीने का समय लगेगा। उन्होंने बताया कि ट्रांसप्लांट के पहले किडनी देने वाले और लगवाने वाले दोनों की कई बड़ी जांचें होती हैं। इसमें काफी समय लगता है। इसके बाद ट्रांसप्लांट की अनुमति लेने में भी एक हफ्ते से 15 दिन लगते हैं। बता दें कि हमीदिया ट्रांसप्लांट के लिए नेफ्रोलॉजिस्ट के अलावा तीन ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. सौरभ जैन, डॉ. सुरेंद्र श्रीवास्तव व डॉ. अमित जैन हैं।
एम्स दिल्ली करेगा मार्गदर्शन
हमीदिया में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए मार्गदर्शन (मेंटरिंग) एम्स दिल्ली करेगा। डॉक्टर व अन्य स्टाफ की ट्रेनिंग, ट्रांसप्लांट के संबंध में विधिक जानकारी व अन्य तकनीकी सहयोग एम्स करेगा। ट्रांसप्लांट में चिकित्सकीय सलाह भी जरूरत पर एम्स से ली जा सकेगी।
4 से 5 लाख रुपए तक आएगा खर्च
आयुष्मान भारत योजना के तहत किडनी ट्रांसप्लांट का पैकेज 4.60 लाख रुपए है। आयुष्मान योजना के तहत मरीजों का इसी पैकेज पर निःशुल्क इलाज किया जाएगा। बाकी मरीजों का खर्च इससे कुछ ज्यादा हो सकता है। दरअसल, कुछ मरीजों की जांचें ज्यादा कराना होती हैं। उन्हें दवाएं भी ज्यादा लगती हैं, इसलिए खर्च बढ़ जाता है। निजी अस्पतालों में 10 से 11 लाख रुपए किडनी ट्रांसप्लांट कराने पर लगते हैं।