नई दिल्ली
एससी-एसटी ऐक्ट में तत्काल गिरफ्तारी के प्रावधान को रोकने वाले अपने फैसले को वापस लेने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट अग्रिम जमानत के पक्ष में फैसला दे सकता है। एससी-एसटी ऐक्ट के तहत दर्ज किए जाने वाले केसों में सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत के प्रावधान को मंजूरी देने के संकेत दिए हैं। शीर्ष अदालत ने संकेत दिया कि यदि केस के फर्जी होने का संदेह होता है तो फिर ऐसी स्थिति में अग्रिम जमानत का प्रावधान होना चाहिए। बता दें कि बीते साल सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी ऐक्ट में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। हालांकि कोर्ट के फैसले के बड़े पैमाने पर विरोध के बाद संसद ने बिल लाकर निर्णय को पलट दिया था।
गुरुवार को सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निरोधक अधिनियम के तहत आरोपी की गिरफ्तारी से पहले जमानत के प्रावधान को हटाना गैरजरूरी है। इसके साथ ही कोर्ट ने इस प्रावधान में बदलाव के संकेत भी दिए। जस्टिस अरुण मिश्रा, विनीत शरण और जस्टिस एस. रविंद्र भट की बेंच ने कहा कि वे इस ऐक्ट के सेक्शन 18A(2) को मंजूरी नहीं दे सकते। इस सेक्शन में ही अग्रिम जमानत के प्रावधान के विकल्प को खत्म करने की बात कही गई है।
एससी-एसटी ऐक्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने पलटा अपना फैसला
बता दें कि 1 अक्टूबर को हुई सुनवाई में शीर्ष अदालत ने बीते साल मार्च के अपने विवादित फैसले को पलटते दिया था। कोर्ट के उस फैसले के बाद देश भर में दलित और जनजाति समाज की ओर से व्यापक प्रदर्शन हुए थे। इसके बाद केंद्र सरकार को संसद से एससी-एसटी संशोधन विधेयक को पारित कराना पड़ा था, जिसके तहत अग्रिम जमानत के प्रावधान को एक बार फिर से खत्म कर दिया गया। संशोधन विधेयक की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि पहले भी कई आदेशों में कहा जा चुका है कि अग्रिम जमानत के प्रावधान पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाई जा सकती।
जब सुप्रीम कोर्ट ने बड़े-बड़े मुद्दों पर अपने ही पुराने फैसलों को पलटा
कोर्ट ने कहा, 'किसी मामले में जरूरी होने पर बेल दी जा सकती है। हम पिछले ललिता कुमारी केस समेत पिछले कुछ फैसलों के आलोक में संशोधित ऐक्ट के प्रावधानों को पढ़ेंगे।' बता दें कि विरोध प्रदर्शनों के बाद संसद से मंजूर किए गए संशोधित ऐक्ट में एफआईआर से पहले शुरुआती जांच, आरोपी की गिरफ्तारी के लिए सक्षम अधिकारी की मंजूरी और अग्रिम जमानत के प्रावधान को खत्म कर दिया था। इनमें से पहले दो मामलों पर कोर्ट ने सरकार के पक्ष में राय दी है, लेकिन अग्रिम जमानत के प्रावधान को वह बरकरार रखने की बात कह सकता है।