रायपुर
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में अंधविश्वास (Superstition) के कारण एक बार फिर हत्या हुई है. हाल ही में बस्तर जिले के चारगांव में भीड़ ने गांव के ही एक अधेड़ की पीट-पीटकर हत्या (Murder) कर दी. पूरा प्रकरण टोनही प्रथा से जूड़ा हुआ बताया जा रहा है. राज्य में हो रही इस तरह की घटनाएं और डराती इसलिए है क्योंकि यहां टोनही प्रथा के खिलाफ विशेष कानून भी बना हुआ है, जिसमें जेल की सजा तक का प्रावधान है. दरअसल, जगदलपुर के पास चारगांव में टोनहा होने के शक में एक 53 साल के अधेड़ मनचीत को पीट-पीटकर मार डाला गया. पुलिस ने हत्या में शामिल 10 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि मुख्य आरोपी को बताया जा रहा है. इस परिवार के अन्य सदस्य ने गांव के सिरहा गारगा (बैगा) से मौत का कारण पूछा तो उसने मनचीत का नाम लिया. फिर क्या था, लोगों ने उसकी हत्या कर दी.
वहीं इस घटना के बाद सवाल इस बात पर उठ गए हैं कि छत्तीसगढ़ में टोनही प्रथा रोकने के लिए जो कानून बनाया गया था और उसके लिए जो दंड का प्रावधान किया गया था. उसका डर लोगों में नहीं है. हालांकि इसका शिकार सबसे ज्यादा महिलाएं होती हैं. छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग में दर्ज शिकायतों को देखा जाए तो जनवरी 2019 से लेकर अब तक केवल एक साल में टोनही प्रताड़ना के 14 मामले दर्ज हुए हैं. छत्तीसगढ़ में अंधश्रद्धा निर्मूलन के लिए काम कर रहे डॉ. दिनेश मिश्रा का कहना है कि उन्होंने राज्य सरकार से आरटीआई के जरिए जवाब मांगा था, जिसमें बताया गया कि 2005 से 2017 तक करीब 1350 मामले दर्ज हुए थे.
डॉ. दिनेश मिश्रा कहना है कि सरकार को जागरूकता के लिए खास तौर पर काम करने की जरूरत है. सजा से ज्यादा इस मामले में शिक्षित करने की ज्यादा जरूरत है. खास तौर पर गांव के वरिष्ठों और पंचायत के लोगों को शिक्षित करने की जरूरत है.
एक शक ले लेते है जानवहीं वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक और पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय की पूर्व एचओडी डॉ. प्रोमिला सिंह का कहना कि कानून भले ही बन गया हो लेकिन राज्य में अभी भी यह अंधविश्वास गहरे से है. वहीं उनका कहना है कि यह मॉब लींचिंग भी है. भीड़ व्यवहार को नियंत्रित करना एक बड़ी चुनौती है. लोग भीड़ में इस तरह से ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि उन्हें पकड़े जाने का डर नहीं लगता है. उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ में 2005 में टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम बनाया गया, जिसके तहत टोनही बताने वाले शख्स को 3 से लेकर 5 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया था, लेकिन कम नहीं होती घटनाओं के बाद जरूरी है कि कानून और सख्त किया जाए और जागरूकता के लिए ज्यादा काम किया जाए.