नई दिल्ली
डब्ल्यूडब्ल्यूई सुपरस्टार रोमन रेंस ने घातक ब्लड कैंसर ल्यूकेमिया से लम्बी लड़ाई जीतकर रिंग में सफल वापसी की है और एक विजेता के तौर पर उभरे हैं। डब्ल्यूडब्ल्यूई की दुनिया को 23 अक्टूबर, 2018 को उस वक्त परेशान करने वाली खबर मिली जब रोमन रेंस ने ल्यूकेमिया से अपने मुकाबले की घोषणा की। बीमारियों के प्रभाव से लड़ने की चार महीने से अधिक समय तक चली उनकी लड़ाई उस दिन तक जारी रही जब उन्होंने रेसलमेनिया 35 से ठीक पहले मनडे नाइट रॉ में हिस्सा लिया।
इस मुकाबले को पूरी दुनिया में करोड़ों लोगों ने देखा। रेंस ने इस मुकाबले में शानदार प्रदर्शन करते हुए अपनी वापसी को दमदार बनाया। अक्टूबर में दिए गए उनके भावनात्मक भाषण से दर्शक भी भावुक हो उठे। सोमवार को जब रेंस ने रिंग से 'बिग डॉग' की वापसी की घोषणा की तो लोगों के चेहरे पर खुशी और मुस्कराहट छा गई।
उन्होंने कहा, “आप जैसे प्रशंसक कहीं नहीं हैं। मैं पहले भी कह चुका हूं कि मैं आस्थावान व्यक्ति हूं और मैं ईश्वर पर विश्वास करता हूं कि उन्होंने मेरी मदद की, मेरी देखभाल की। लेकिन ल्यूकेमिया को लेकर अपनी घोषणा से पहले मैं झूठ नहीं बोलना चाहता हूं कि मैं डरा हुआ था।”
रोमन रेंस को पहली बार मई 2007 में कैंसर होने का पता चला और शुरूआती जांच के बाद उन्होंने करीब दो वर्ष उपचार कराया। 2018 में इस बीमारी के वापस लौटने से पहले उन्होंने सफलतापूर्वक 11 सालों तक इस बीमारी का मुकाबला किया। करीब एक वर्ष बाद रोमन रेंस न सिर्फ बीमारी का मुकाबला कर विजेता के तौर पर उभरकर सामने आए बल्कि घातक ब्लड कैंसर- ल्यूकेमिया के प्रति जागरूकता फैलाने का भी काम कर रहे हैं। चूंकि सितंबर ल्यूकेमिया जागरुकता माह भी है।
जब रोमन रेंस ने डब्ल्यूडब्ल्यूई में वापसी की तो ल्यूकेमिया से मुकाबला जीतने के सम्मान में एक नई अधिकृत शर्ट बनाई गई। यह शर्ट अपने पसंदीदा डब्ल्यूडब्ल्यूई सुपरस्टार के समर्थन में पहनी जाने वाली शर्ट से कहीं अधिक थी क्योंकि इसका इस्तेमाल ल्यूकेमिया से पीड़ित अन्य लोगों का समर्थन करने के लिए किया गया। इस शर्ट की 20 फीसदी बिक्री से मिलने वाली राशि 'द ल्यूकेमिया एंड लिम्फोमा' सोसाइटी को दान में दी जाती है ताकि कैंसर से मुकाबले से उनकी लड़ाई में मदद की जा सके।
ल्यूकेमिया एंड लिम्फोमा सोसाइटी हॉडकिंस डिजीज, लिम्फोमा, मायलोमा और ल्यूकेमिया के उपचार तलाशने पर ध्यान केंद्रित करता है जिससे मरीजों को तेजी से ठीक होने और सेहतमंद जीवनशैली से जीने में मदद मिले। इस संगठन का एक अन्य लक्ष्य अपने मरीजों और उनके परिवारों को जीवन जीने की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराना है जिसकी उन्हें उपचार की प्रक्रिया से गुजरते हुए आराम महसूस करने के लिए जरूरत होगी और इससे उन्हें उम्मीद भी मिलेगी।
बिग डॉग ने अपनी चमत्कारिक वापसी के ठीक पहले इस गंभीर बीमारी से चार महीने की लड़ाई लड़ी। अपने उपचार के दौरान चार बार के विश्व चैंपियन को ऐसे ढेरों बच्चों सेमुकाबला करने का मौका मिला जो पेडियाट्रिक कैंसर से लड़ रहे थे और उन्होंने मुकाबला करने के लिए प्रेरित किया।