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सीएम राइज स्कूल में मना विश्व गौरैया दिवस, छात्र-छात्राओं ने ली गौरैया को बचाने की शपथ

BHEL School

भोपाल. विद्यार्थियों में जागरूकता लाने के उद्देश्य से शासकीय महात्मा गांधी सीएम राइज उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भेल (CM Rise School) में विश्व गौरैया दिवस (World Sparrow Day), प्राचार्य श्रीमती हेमलता परिहार के नेतृत्व में मनाया गया। विज्ञान की शिक्षिका डॉ अर्चना शुक्ला जिन्हें अपने कार्य के लिए राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान, मध्य प्रदेश वार्षिक जैव विविधता पुरस्कार एवं मध्य प्रदेश महिला पर्यावरण योद्धा सम्मान से नवाजा जा चुका है के मार्गदर्शन में विद्यार्थियों एवं शिक्षक गणों ने कृत्रिम घौसलों का निर्माण किया। विश्व गौरैया दिवस के दिन विद्यालय में गौरैया के लकड़ी के बने घोंसलों की एक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। प्रोजेक्ट कोर्डिनेटर श्री हेमंत कुमार दुबे द्वारा विद्यार्थियों को गौरैया के संरक्षण की शपथ ग्रहण कराई गई एवं विद्यार्थियों को कृत्रिम घोसले बनाने में मदद की।

डॉ शुक्ला ने विद्यार्थियों को गौरैया के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि हमें गौरैया को संरक्षित करना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि गौरैया के बच्चों को हाई प्रोटीन की आवश्यकता होती है जिसके लिए वह हमारे बगीचे, नाले और आसपास के पेड़-पौधों से लार्वा को चुन-चुन कर अपने बच्चों को खिलाती है इस तरह से इन लार्वा में पनपने वाले बैक्टीरिया,वायरस हमारी खाद्य श्रृंखला में नहीं आ पाते और हम बीमारी से बचे रहते हैं इस प्रकार गौरैया बिना किसी केमिकल के इस्तेमाल के ही हमारे पर्यावरण को रोगों से मुक्त बनाती है। आपके घर के आसपास गौरैया का होना अच्छे पर्यावरण का सूचक है। गौरैया के घर में चहकने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। घर में लगा हुआ एक कृत्रिम घोसला आपके बच्चों को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाता है।

BHEL School

डॉ शुक्ला पिछले 12 सालों से गौरैया के संरक्षण पर कार्य कर रही हैं। जिसमें उन्हें मुख्य रूप से गौरैया के संख्या कम होने का कारण उनको घोसले बनाने की उपयुक्त जगह ना मिल पाना समझ में आया । इसीलिए उन्होंने पिछले ढाई वर्ष में अपने विद्यार्थियों के साथ मिलकर अलग-अलग तरह के घोंसले बनाए तथा बच्चों ने इन्हें अपने घरों में लगाया। कई घरों में कमियां समझ में आने पर जैसे कि बड़ा छेद होने के कारण दूसरे पक्षी जैसे मैना और रॉबिन अपने घोसले उसमें बना लिया करते थे। यह चटक रंग होने पर गौरैया का ना आना या घोंसलों का दाना पानी की जगह पर रहने से दूसरे शिकारी पक्षियों का घोसले को नष्ट कर देना जैसी समस्याएं सामने आने पर इन्हें लगातार सुधारा गया जिस पर उन्हें एक ऐसा मॉडल बनाने में सफलता मिली जो वैज्ञानिक रूप से गौरैया के लिए उपयुक्त है तथा इसे गौरैया ने साल भर में कई जगहों पर तीन बार भी अपनाया है इस तरह से उन्होंने इस मॉडल के स्पैरो हाउसेस बनवाए तथा अंतरराष्ट्रीय गौरैया दिवस के दिन इसे आम जनता के लिए उपलब्ध कराया गया।

पुरस्कार भी बांटे गए

बच्चों के लिए हुई विभिन्न प्रतियोगिताओं में फोटोग्राफी प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार प्रभाकर सोनी 9 बी को मिला, वीडियोग्राफी प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार शुभम सिंह राजपूत 9 ए पेंटिंग प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार रौनक कुशवाहा 9 ए, एवं द्वितीय पुरस्कार कृष्णा रायखेड़े 9 ब, कृत्रिम घोसला में प्रथम पुरस्कार अजय गुप्ता को मिला। कुसुम साहू, तनिष्का भारत एवं शशि साहू के द्वारा गौरैया की मनमोहक रंगोली बनाई गई। आठवीं के विद्यार्थियों ने बहुत ही सुंदर बर्ड फीडर बनाएं जिन्हें विद्यालय में लगाया गया। सभी विद्यार्थियों को प्राचार्य के द्वारा पुरस्कृत किया गया। शिक्षक रेखा पाटीदार, रक्षा गुप्ता, सुमित्रा श्रीमाली के द्वारा कार्यक्रम का सफल आयोजन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई। विद्यार्थियों के द्वारा किया गया यह कार्य गौरैया पक्षी को बचाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।

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