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US ने H1 B वीजा के लिए फीस बढ़ाई

नई दिल्‍ली

अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने भारत समेत अन्‍य देशों के आईटी प्रोफेशनल्‍स को झटका दिया है. दरअसल, ट्रंप प्रशासन ने एच-1बी वीजा की आवेदन फीस को 10 डॉलर यानी करीब 700 रुपये बढ़ाने का ऐलान किया है. इसका मतलब यह हुआ कि अब अमेरिका में काम करने के लिए आवेदन करना महंगा हो गया है.

अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवाओं (यूएससीआईएस) ने बताया कि वापस नहीं होने वाला यह शुल्क एच-1बी चयन प्रक्रिया को, आवेदन करने वालों और संघीय एजेंसी दोनों के लिए प्रभावी बनाने की खातिर नयी इलेक्ट्रॉनिक पंजीकरण प्रणाली में उपयोगी साबित होगा. यूएससीआईएस के कार्यकारी निदेशक केन कुसिनेली ने कहा, “इस प्रयास के जरिए ज्यादा प्रभावी एच-1बी कैप चयन प्रक्रिया लागू करने में मदद मिलेगी.” उन्होंने आगे कहा, “इलेक्ट्रॉनिक पंजीकरण प्रणाली हमारे आव्रजन तंत्र को आधुनिक बनाने के साथ ही फर्जीवाड़े को रोकने, जांच प्रक्रियाओं में सुधार करने और कार्यक्रम की अखंडता को मजबूत करने की एजेंसी स्तरीय पहल का हिस्सा है.”

ट्रंप प्रशासन का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने भारतीय लोगों के एच-1बी वीजा खारिज करने में बढ़ोत्तरी कर दी है. अमेरिकी थिंक टैंक नेशनल फाउंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी की स्‍टडी के मुताबिक, वीजा रद्द करने की दर 2015 में जहां 6 फीसदी थी, वहीं वर्तमान वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में यह दर 24 फीसदी पर पहुंच गई.

एच-1बी वीजा एक गैर-प्रवासी वीजा है. अमेरिका में कार्यरत कंपनियों को यह वीजा ऐसे कुशल कर्मचारियों को रखने के लिए दिया जाता है जिनकी अमेरिका में कमी हो. इस वीजा की वैलिडिटी छह साल की होती है. अमेरिकी कंपनियों की डिमांड की वजह से भारतीय आईटी प्रोफेशनल्‍स इस वीजा को सबसे अधिक हासिल करते हैं. लेकिन अमेरिका में डोनाल्‍ड ट्रंप के राष्‍ट्रपति बनने के बाद एच-1बी वीजा के नियमों को सख्‍त कर दिया गया है. इस वजह से भारत समेत दुनिया भर के आईटी प्रोफेशनल्‍स को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है.

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