प्रयागराज
प्रशासनिक सेवा की देश की सबसे बड़ी सिविल सेवा परीक्षा में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों का सफलता प्रतिशत लगातार कम हो रहा है। पहले इविवि के सफल होने वाले छात्रों की संख्या दहाई से सिमट कर इकाई में पहुंची। फिर एक समय ऐसा भी आया जब इविवि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सूची से ही बाहर हो गया क्योंकि यहां के किसी भी छात्र को सफलता नहीं मिल सकी। सिविल सेवा परीक्षा 2008 में इविवि से पढ़ने वाले 1059 विद्यार्थी मुख्य परीक्षा में शामिल हुए थे। इनमें से 26 का चयन हुआ था। इस वर्ष देशभर के 152 शैक्षिक संस्थानों के छात्रों का चयन हुआ था। इसमें इविवि चौथे स्थान पर था।
सिविल सेवा परीक्षा 2009 में इविवि के 878 छात्रों ने मेन्स दिया। इनमें से 25 चयनित हुए। देशभर के 170 शैक्षिक संस्थानों की सूची में इविवि पांचवें स्थान पर था। कमोवेश ऐसी स्थिति सिविल सेवा परीक्षा 2010 में भी रही। इस वर्ष इविवि के 837 छात्रों ने मेन्स दिया था। इनमें से 21 सफल हुए थे। देशभर के 171 शैक्षिक संस्थानों में इविवि आठवें स्थान पर था।
2010 तक कमोवेश स्थिति ठीक थी पर 2011 की परीक्षा से सीसैट लागू होते ही स्थिति बिल्कुल बदल गई। 2011 की परीक्षा में इविवि के 174 छात्रों ने मेन्स दिया था। इनमें से मात्र सात चयनित हुए थे। इस परीक्षा में देशभर के 193 शैक्षिक संस्थानों के छात्रों को सफलता मिली थी। इनमें इविवि 37वें पायदान पर था। 2012 की परीक्षा में इविवि के 50 छात्र इंटरव्यू तक पहुंचे थे। इनमें से सिर्फ छह को चयनित किया गया था। इस वर्ष देशभर के 200 शैक्षिक संस्थानों के छात्र सिविल सेवा परीक्षा में चयनित हुए थे। इन 200 में इविवि 41वें स्थान पर था। 2013 में देशभर के 210 संस्थानों के छात्र सिविल सेवा में चयनित हुए थे, इस बार इविवि सूची से बाहर हो गया था। 2014 की परीक्षा में इविवि की यही स्थिति रही। 2015 से आयोग ने उन संस्थानों की सूची जारी करना बंद कर दिया, जहां के छात्र सिविल सेवा परीक्षा में चयनित होते हैं इसलिए कोई आधिकारिक आंकड़ा तो नहीं है पर इसके बाद भी परिणाम बहुत अच्छा नहीं रहा।
समाप्त हुई तैयारी की पुरानी परंपरा
इविवि के हॉस्टलों का माहौल लंबे समय से बिगड़ा हुआ है। हॉस्टलों में अराजकता रोकने के नाम पर प्रवेश प्रक्रिया में किए गए बदलाव से यहां सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी का रहा-सहा माहौल भी खत्म हो गया। हॉस्टलों में प्रवेश की व्यवस्था कोर्सवाइज किए जाने से आपसी सहयोग और मागदर्शन से तैयारी करने की वर्षों से चली आ रही परंपरा बिल्कुल समाप्त हो गई। सिविल सेवा परीक्षा का परिणाम आने के बाद जो एएन झा हॉस्टल परिसर खुशी से झूम उठता था, वहां अब परिणाम के दिन सन्नाटा पसरा रहता है।
लंबे समय से नहीं बदला गया कोर्स
इलाहाबाद विश्वविद्यालय स्नातक का पाठ्यक्रम बदलने की कवायद कई बार की गई लेकिन कोर्स नहीं बदला जा सका है। ज्यादातर विषयों का कोर्स काफी पुराना है जबकि सीसैट लागू होने के बाद सिविल सेवा परीक्षा का कोर्स पूरी तरह से परिवर्तित हो चुका है। पढ़ाई का माध्यम भी हिन्दी होने के कारण सिविल सेवा परीक्षा में अपेक्षित सफलता नहीं मिल पा रही है।
अब लक्ष्य केंद्रित नहीं होती तैयारी
पहले यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाला सिर्फ इसी के बारे में सोचता था, बहुत हुआ तो पीसीएस की तैयारी कर ली लेकिन अब ऐसा नहीं है। प्रतियोगी सिविल सेवा, पीसीएस ( UPPSC PCS ) के साथ ही एसएससी ( SSC ), दारोगा भर्ती ( UP Police SI Exam ), लेखपाल ( UP Lekhpal ) सभी परीक्षा में शामिल होते हैं। लक्ष्य केंद्रीय तैयारी के अभाव का भी असर चयन पर पड़ा है।
एमएनएनआईटी ( MNNIT ) का क्रेज
सीसैट ( UPSC CSAT ) को इंजीनियरिंग और मेडिकल के छात्रों के लिए मुफीद माना जाता है। यही वजह है कि मोती लाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआईटी) के छात्रों का दबदबा बढ़ा है। 2016 की सिविल सेवा परीक्षा में पहले ही प्रयास में अखिल भारतीय स्तर पर चौथा स्थान प्राप्त करने वाली सौम्या पांडेय और पांचवें स्थान पर रहे अभिलाष मिश्र ने यहीं से बीटेक किया था। सिविल सेवा परीक्षा 2013 से 2016 तक इस संस्थान के 33 छात्रों को सफलता मिली थी।
हॉस्टलों की थी पहचान
इविवि को आईएएस बनाने की फैक्ट्री का तमंगा मिलने के पीछे यहां के शैक्षिक माहौल की भूमिका तो रही ही, हॉस्टलों का भी अहम योगदान था। एएन झा की पहचान आईएएस अफसर देने के लिए है तो जीएन झा आईपीएस देने के लिए जाना जाता है। एसएसएल और पीसीबी हॉस्टल से आईएएस और आईपीएस दोनों ही निकले हालांकि आईपीएस की संख्या अपेक्षाकृत ज्यादा रही। प्रांतीय प्रशासनिक और पुलिस सेवा के अफसर देने के लिए ताराचंद हॉस्टल को जाना जाता है।