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पर्यावरण संरक्षण, प्रकृति से प्रेम और समाज सेवा का कर रहे अनूठा कार्य

Unique act of environmental protection, love for nature and social service

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हर वर्ष 21 जून को नीम के पेड़ का जन्मदिन मनाया जाता है। इस मौके पर आयोजक पर्यावरण प्रेमी, समाज सेवी और विशेष सेवा कार्य करने वाले व्यक्ति का सम्मान करते हैं। इस वर्ष भी कुछ समाज सेवियों, पर्यावरण प्रेमियों और विशेष सेवा कार्य के लिए सम्मानित किया गया। इसमें डॉ. अल्पना तिवारी सीएमओ कस्तूरबा अस्पताल, पुरातत्वविद, डॉ. नारायण व्यास, रोहित वर्मा, पत्रकार और समाजसेवी के साथ ही सत्य प्रकाश सक्सेना को सम्मानित किया गया।

Doing unique work of environmental protection, love for nature and social service : रोहित वर्मा भोपाल. पर्यावरण संरक्षण, प्रकृति से प्रेम और समाज सेवा का इससे बड़ा उदाहरण नहीं मिल सकता, कि लोग पूरे एक साल तक नीम के पेड़ का जन्मदिन मनाने का इंतजार करते हैं। यहां न कोई बड़ा आयोजन होता है और न ही कोई जनप्रतिनिधि मुख्य अतिथि होते हैं। यहां होते हैं तो सिर्फ प्रकृति से प्रेम करने वाले (पर्यावरण प्रेमी) पर्यावरण के संरक्षक और समाज सेवी। जो कि नि:स्वार्थ भाव से अपनी तन्मयता के साथ इस पुनीत और सेवा कार्य में जुटे रहते हैं।

इस वर्ष 21 जून बुधवार को नीम के पेड़ का 29वीं वर्षगांठ मनाई गई। बता दें कि 29 वर्ष पहले भेल के आदर्श मार्केट के व्यापारियों ने इस नीम के पेड़ को रोपा था। बीते इन वर्षों में इन व्यापारियों और समाजसेवियों ने अनवरत रूप से न केवल खुद द्वारा रोपे गए नीम के पेड़ को बच्चे जैसा पाल पोस रहे हैं, बल्कि उसका हर साल जन्मदिवस भी पूरी शिद्दत, समर्पण और श्रद्धा के साथ मनाते आ रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए साधन के सीमा के बावजूद कर्तव्य परायणता का ऐसा दूसरा उदाहरण कठिनाई से ही मिलेगा। हर्ष की बात है कि यह “नीम का पेड़” इस वर्ष अपने जीवन के 29 वर्ष सफलतापूर्वक पूरे कर पल्लवित है। लिम्का बुक ऑफ वल्र्ड रेकार्ड में भी इस नीम के पेड़ का नाम दर्ज है।

Precious gift of environment lovers and social workers to the society

Precious gift of environment lovers and social workers to the society

जानें नीम के पेड़ को रोपने वालों के संघर्ष की कहानी
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के बीएचईएल टाउनशिप के आदर्श मार्केट पिपलानी के व्यापारी मुकेश जैन पंड्या ने अपनी दुकान के सामने 21 जून 1994 को एक छोटा सा नीम का पेड़ लगाया था। मुकेश ने बताया कि इस पेड़ की पत्तियों को कई बार बकरी और मवेशी खा गए। डालियों को तोड़ दिया, ऐसे में इस पेड़ को बचाने के लिए इसमें जाली लगाई। दुकान के सामने होने से दिन भर इसकी देखभाल करते थे। गर्मी के दिनों में रोजान सुबह-शाम पानी देते थे। धीरे-धीरे मुकेश के साथ दूसरे दुकानदार सुधीर पंड्या, और राजकुमार अग्रवाल का भी इस पेड़ को बच्चे जैसे पालने पोसने से भावनात्मक लगाव हो गया।

पहली बार मजाक में मनाया जन्मदिन
वर्ष 2004 में जब पेड़ बड़ा हुआ तो मजाक ही मजाक में साथी दुकानदारों ने इस नीम के पेड़ का जन्मदिन मनाने की बात कही। चूंकि मैने इस पेड़ को बच्चे जैसा पाला और बड़ा किया था तो मुझे भी साथियों क विचार अच्छा लगा और कुछ दिनों बाद आने वाले 21 जून को मुकेश, सुधीर और राजकुमार ने मिलकर पेड़ का जन्मदिन मनाया। इस पर लोगों ने पेड़ का जन्मदिन मनाने पर मजाक तक उड़ाया। कहा कि अपना जन्मदिन नहीं मना पाते पेड़ का जन्मदिन मनाने चले हैं। लेकिन हमने इसकी कभी भी परवाह नहीं की और पीछे मुडकऱ नहीं देखा और आज 29वीं वर्षगांठ मनाई गई।

लोग जुड़ते गए और कारवां बढ़ता गया
धीरे-धीरे इन दुकानदारों के इस मिशन में इससे पर्यावरण प्रेमी, समाजसेवी और भेल अधिकारी जुड़ते चले गए। 29 साल बाद भी इस पेड़ का जन्मदिन गांधीवादी तरीके से मनाया जाता है। इसके लिए न कोई अस्पांसर होता है, न माइक होता है, न मंच और न ही कोई भाषण होता है। एक सिंद्धांत यह भी तय किया गया कि इसे राजनीतिक विचार धारा और नेताओं से मुक्त रखा गया है। पिछले कुछ वर्षों से समाज को समर्पित प्रचार से परे सामाजिक सेवा में संलग्र निष्काम कर्मियों का सम्मान किया जा रहा है।

 

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