मध्य प्रदेश

इस बार राजधानी में भगवा गुलाल से होली खेलेंगे हुरियारे

This time Hurriyare will play Holi with saffron gulal in the capital
This time Hurriyare will play Holi with saffron gulal in the capital

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वन विभाग के लघु वनोपज प्रसंस्करण केंद्र बरखेड़ा पठानी में तैयार किया जा रहा प्राकृतिक गुलाल

This time Hurriyare will play Holi with saffron gulal in the capital: भोपाल. राजधानी भोपाल में हुरियारे इस बार भगवा गुलाल से होली खेलेंगे। रंगों के महापर्व होली पर विभिन्न प्रकार के रंग और गुलाल का इस्तेमाल किया जाता है। बाजारों में बिकने वाला केमिकल युक्त रंग और गुलाल लोगों के लिए परेशानी का सबब भी बन जाता है। ऐसे में लोगों की सेहत का ख्याल रखते हुए वन विभाग के लघु वनोपज प्रसंस्करण केंद्र बरखेड़ा पठानी में प्राकृतिक गुलाल तैयार किया जा रहा। यह गुलाल आंख और मुंह के अंदर भी चला जाए तो इससे कोई नुकसान नहीं होता।
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पांच तरह के गुलाल तैयार किए गए हैं
विंध्य हर्बल में इस बार पांच तरह के गुलाल तैयार किए गए हैं। इनमें भगवा, हरा, गुलाबी, पीला और सिंदूरी है। प्राकृतिक रूप से तैयार किए गए इस गुलाल में आरारोट के साथ अलग-अलग कलर के लिए अलग-अलग तरह के बीज, फूल, पत्ते, बेलपत्र, पालक, हल्दी चुकंदर, पलाश, सिंदूरी के बीज आदि का इस्तेमाल किया जाता है। फ्लेवर और खुशबू के लिए रोज, केवड़ा आदि का अर्क तैयार कर इसमें इस्तेमाल किया जाता है।
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इससे शरीर को नहीं होता नुकसान
विंध्य हर्बल भोपाल के नर्सरी प्रभारी, केबीएस परिहार ने बताया कि हमारे यहां बनाए जाने वाला गुलाल पूरी तरह केमिकल मुक्त है। इसमें आरा रोड, पालक, हल्दी, बेलपत्री, सिंदूरी बीज के साथ ही विभिन्न प्रकार के पेड़ों के पतों और रसों का इस्तेमाल किया जाता है, जो पूरी तरह प्राकृतिक है और इससे शरीर को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता।
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चार क्विंटल तैयार किया गया है हर्बल गुलाल
विंध्या हर्बल के नर्सरी प्रभारी केबीएस परिहार ने बताया कि इस बार नर्सरी में चार क्विंटल गुलाल तैयार किया गया है। यदि कहीं से मांग आती है तो और गुलाल तैयार किया जाएगा। परिहार ने बताया कि यह गुलाल विंध्या हर्बल की संजीवनी की मांग पर बनाते हैं। फ्लेवर और खुशबू के लिए रोज, केवड़ा आदि का अर्क तैयार कर इसमें इस्तेमाल किया जाता है। परिहार ने बताया कि एक क्विंटल गुलाल 8 लोग मिलकर 1 से 2 दिन में तैयार कर देते हैं। ऐसे में डिमांड आने पर हम इसे तत्काल तैयार कर देते हैं। गुलाल बनाने की पूरी प्रक्रिया विध्य हर्बल के मुख्य कार्यपालन अधिकारी दिलीप कुमार और उप प्रबंधक बीएस पिल्लई के मार्गदर्शन में की जा रही है।

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हर्बल गुलाल की खासियत
इस हर्बल गुलाल की खास बात यह है कि यह गुलाल आंख और मुंह के अंदर भी चला जाए तो इससे कोई नुकसान नहीं होता, क्योंकि इसमें जितनी भी सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है वह अलग-अलग प्रकार के पेड़ पौधों के पत्तों के साथ ही आयुर्वेद के मुताबिक होता है। गुलाल का बेस आरारोट से तैयार किया जाता है।

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इस बार विंध्या हर्बल में चार तरह के गुलाल बनाए गए हैं
सिंदूरी रंग: इसके लिए सिंदूरी के बीजों के साथ कुछ पेड़ों के पत्तों और कुछ फूट कलर का इस्तेमाल किया किया जाता है।
पीला रंग: इसके लिए दो से तीन तरह की हल्दी आदि का उपयोग किया जाता है।
हरा रंग: हरे रंग का गुलाल बनाने के लिए पालक का रस निकाल कर इसमें बेल पत्री सहित अन्य प्रकार के पौधों के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है।
गुलाबी रंग: गुलाबी रंग का गुलाल बनाने के लिए अलग-अलग प्रकार के फलों का इस्तेमाल कर यह गुलाल तैयार किया जाता है।

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