देश मध्य प्रदेश

वैश्विक है भारत का विचार: प्रो. संजय द्विवेदी

The idea of India is global: Prof. Sanjay Dwivedi

रतलाम में तीन दिवसीय ‘मालवा मीडिया फेस्ट’ का आयोजन, ज्वलंत विषयों पर विमर्श
The idea of India is global: Prof. Sanjay Dwivedi: भोपाल. भारत का विचार वैश्विक विचार है। भारत की संस्कृति ऐसी है, जो विश्व के मंगल की कामना करती है। इसलिए भारत का विचार वैश्विक स्तर पर स्वीकार्य भी है। यह विचार भारतीय जनसंचार संस्थान के पूर्व महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने सक्षम संचार फाउंडेशन की ओर से रतलाम में आयोजित मालवा मीडिया फेस्ट में व्यक्त किए। इस अवसर पर आयोजन की संयोजक वरिष्ठ पत्रकार अर्चना शर्मा, प्रसिद्ध गज़लकार आलोक श्रीवास्तव, मशहूर लेखक-कवि प्रो. अजहर हाशमी, रुचि श्रीमाली और हीरेन जोशी सहित गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

‘न्यू इंडिया-न्यू मीडिया’ विषय पर प्रो. द्विवेदी ने कहा कि डिजिटल मीडिया के उत्थान ने भारत की छवि बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। डिजिटल मीडिया की पहुंच वैश्विक होने के कारण से भारत की ज्ञान-परंपरा वैश्विक पटल पर पहुंची है। उन्होंने कहा कि एक दिन में सोशल मीडिया पर 320 करोड़ से अधिक फोटो शेयर हो रहे हैं और 800 करोड़ से ज्यादा वीडियो देखे जा रहे हैं। एक व्यक्ति प्रतिदान 145 मिनट डिजिटल मीडिया में बिता रहा है। दुनियाभर में सोशल मीडिया यूजर्स की संख्या लगभग 3 अरब 99 करोड़ हो गई है। भारत में सोशल मीडिया के उपयोगकर्ताओं की संख्या 60 करोड़ से अधिक हैं।

एक तरफा नैरेटिव चलाने वालों के दिन समाप्त
प्रो. द्विवेदी ने कहा कि डिजिटल मीडिया के कारण संवाद में पारदर्शिता बढ़ गई है। आज कोई भी गलत समाचार प्रकाशित करता है, तो आम लोग भी उसके बारे में तत्काल सही जानकारी डिजिटल मीडिया में शेयर कर देते हैं। एक तरफा नैरेटिव चलाने वालों का वर्चस्व समाप्त हो गया है। पहले कुछ लोग मिलकर तय करते थे कि कौन से समाचार दिखाए जायेंगे, लेकिन अब डिजिटल मीडिया पर लोगों की अभिव्यक्ति मीडिया का कंटेंट तय करती है।

कम्युनिकेशन के क्षेत्र में रोजगार के अपार अवसर
मीडिया में रोजगार के विषय पर उन्होंने कहा कि कम्युनिकेशन के क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। शासकीय, गैर-शासकीय और कॉरपोरेट से संबंधित प्रत्येक क्षेत्र में कम्युनिकेटर की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सोशल मीडिया का सावधानी से उपयोग करने की आवश्यकता है।

भारत का सच है रामराज्य
‘राम मंदिर: अहम, वहम और नियम’ पर आयोजित चर्चा में प्रो. द्विवेदी ने कहा कि रामराज्य कोई कल्पना नहीं था, रामराज्य भारत में था, जिसे हमें साकार करना है। महात्मा गांधी कई बार रामराज्य की चर्चा करते थे। प्राण प्रतिष्ठा के मुहूर्त को लेकर उन्होंने कहा कि विद्वानों की संस्थाओं ने बहुत सोच-विचारकर मुहूर्त निकाला था, उस पर प्रश्न उठाना बेमानी है। अधूरे मंदिर के निर्माण की बात भी अतार्किक है। सोमनाथ मंदिर के निर्माण को हम देखते हैं, तो हमें ध्यान आता है कि स्थापना के बाद भी उसका निर्माण चलता रहा। देश में कई बड़े मंदिर हैं, जिनका निर्माण सतत चलता रहता है। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद देश में उत्साह और उमंग का वातावरण है। लोगों की वर्षों की प्रतीक्षा पूरी हुई है। राम मंदिर के लिए संपूर्ण भारत ने लंबे समय तक आंदोलन चलाया है, जिसमें सामान्य नागरिकों के साथ ही साधु-संतों की भूमिका रही है। प्रो. द्विवेदी ने कहा कि नरेंद्र मोदी विवादित मुद्दों को हल करते जा रहे हैं।

>

About the author

info@jansamparklife.in

Leave a Comment