देश मध्य प्रदेश

पत्रकारिता की पहली जवाबदेही नागरिकों के प्रति

The first responsibility of journalism is towards the citizens.
Pushpendra Pal Singh

Pushpendra Pal Singh

अतुल चौरसिया को प्रथम ‘पीपी सिंह नेशनल जर्नलिज्म अवार्ड’
The first responsibility of journalism is towards the citizens: भोपाल. पुष्पेन्द्र पाल सिंह एक आर्गेनिक शिक्षक थे, जो अपने छात्रों के साथ क्लासरूम के बाहर भी पठन—पाठन की प्रक्रिया चलाते थे। उनके योगदान को पत्रकारीय शिक्षा जगत में हमेशा याद रखा जाएगा। यह बातें उनकी जयंती पर रविवार को आयोजित प्रथम पीपी सिंह राष्ट्रीय पत्रकारिता सम्मान के मौके पर वक्ताओं ने कही। पुष्पेन्द्र पाल सिंह स्मृति फाउंडेशन की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में न्यूज लांड्री के प्रबंध संपादक अतुल चौरसिया को प्रथम पीपी सिंह राष्ट्रीय पत्रकारिता सम्मान दिया गया। उन्हें एक लाख रुपए की सम्मान निधि और स्मृति चिह्न प्रदान किया गया।

पुष्पेन्द्र पाल सिंह ऑर्गेनिक शिक्षक थे
कार्यक्रम की शुरुआत साया बैंड ने दुष्यंत कुमार की रचनाओं की संगीतमय प्रस्तुति से की। प्रोफेसर आनंद प्रधान ने कहा कि पत्रकारिता लोगों की सेवा है, उसकी पहली लॉयल्टी नागरिकों के प्रति है। आज पत्रकारिता संस्थानों को क्रिटिकल थिंकिंग की जरूरत है। यह चुनौती है, जिस पर चर्चा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि पुष्पेन्द्र पाल सिंह को याद करते हुए हमें पत्रकारिता के मूल्यों को याद करने की जरूरत है। प्रोफेसर आनंद ने कहा कि जर्नलिज्म की ट्रेनिंग क्लासरूम के भीतर नहीं हो सकती। पुष्पेन्द्र सिंह विद्यार्थियों को बाहर की दुनिया से रूबरू कराने वाले ऑर्गेनिक शिक्षक थे।

Pushpendra Pal Singh

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आज लोकतंत्र में मीडिया की लड़ाई है
अतुल चौरसिया ने कहा कि व्यक्तिगत जीवन में गांधीजी मेरे हीरो हैं और हम अपने पुरखों की प्रतिलिपि हैं। गांधी ने सत्य अहिंसा जैसे तथ्यों को पिघलाकर अंग्रेजों को भगा दिया। आज लोकतंत्र में मीडिया की लड़ाई है। उन्होंने सवाल किया कि क्या जो लोग 26 जनवरी 1950 को नागरिक बने, उन्हें ये अधिकार मिल पाया। क्या लोगों के घर तक न्याय, बंधुत्व की भावना पहुंंच सकी।

लोकतंत्र में पत्रकार देश के मेरुदंड
गांधीप्रेमी विचारक उत्तम परमार ने कहा कि लोकतंत्र में पत्रकार देश के मेरुदंड होते हैं, इनका स्वतंत्र रहना जरूरी है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. विजय बहादुर सिंह ने कहा कि कोई सरकार आप पर कुछ थोप दे, और आप प्रतिवाद न कर सकें तो लाश हैं। जिन्होंने अपनी चेतना खो दी है, वे चैनलों पर दिखते हैं। उन्होंने कहा कि फाउंडेशन की यह पहल सराहनीय है। कार्यक्रम में देशभर के 20 से अधिक मीडिया संस्थानों के संपादक और 100 से अधिक सुपरिचित पत्रकार उपस्थित रहे।

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