खजूरीकला जम्मबूरी मैदान में चल रही श्रीराम कथा में मुरलीधर महाराज ने कह-
दुख, पीड़ा चमत्कारों से नहीं मिटते, उनका एक समय है, भगवत नाम स्मरण से समाप्त होता है: भोपाल. गंगा जी में स्नान करने से तन से किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं, लेकिन तन से फिर पाप हो जाते हैं। राम कथा वाणी रूपी गंगा है, जिससे मन से होने वाले पाप समाप्त हो जाते हैं और फिर मन से पाप नहीं होते हैं। जंबूरी मैदान में की जा रही रामकथा के दूसरे दिन संत मुरलीधर महाराज ने कहा कि व्यक्ति के जीवन में दुख और पीड़ा आते हैं, उनके मिटने का एक समय होता है।
आजकल लोग दुख और पीड़ा के निवारण के लिए चमत्कारी बाबाओं के पास जाते हैं, लेकिन ऐसे चमत्कारों से दुख पीड़ा नहीं मिटती है। दुख पीड़ा भगवत नाम स्मरण और श्रीराम चरित मानस रामायण पाठ करने, श्रीहनुमान चालीसा का पाठ नियमित श्रद्धाभाव से करने से स्वत: समाप्त हो जाते हैं। श्रीराम कथा में शिव-पार्वती विवाह प्रसंग की कथा सुनाते हुए मुरलीधर महाराज ने बताया कि शिव जी की बारात में सभी जीव पहुंचे। जहां असुर रहते हैं, वहां देवता नहीं जाते हैं, लेकिन शिव पशुपति हैं, सभी जीवों के देव हैं, इसलिए शिव की बारात में असुरों के साथ देवता भी शामिल हुए।
राम जन्मोत्सव की कथा में महाराज ने कहा कि पार्वती द्वारा राम जी और उनके अवतार के बारे में प्रश्न करने पर शंकर जी ने उन्हें विस्तार से समझाया कि किस तरह निर्गुण, सगुण शुरू धारण करता है। जब-जब होई धर्म की हानि, तब प्रभु सगुन स्वरूप धारण कर भक्तों, सज्जनों की पीड़ा हरते हैं। राम जन्म के विभिन्न प्रसंगों का वर्णन करते हुए संत मुरलीधर महाराज ने कहा कि प्रभु प्रेम से प्रकट होते हैं।
मनुष्य को रामचारित मानस अर्थात रामायण सद् ग्रन्थ का नियमित पाठ करना चाहिए। ये कई अवगुणों के लिए रामबाण औषधि है। सकल समाज वरिष्ठ नागरिक सेवा समिति द्वारा कथा का आयोजन किया जा रहा है। मुख्य यजमान भगवती देवी और रमेश रघुवंशी, दर्शना-मुकेश शर्मा, साधना-एएल सिंह हैं। कथा सुनने बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। इस मौके पर श्याम सुंदर रघुवंशी, चंद्र मोहन अग्रवाल, अजय अग्रवाल, विजय माहेश्वरी, हीरा लालगुर्जर, विजय दुबे भोले, हरीश बाथवी, मिथलेश गौर, बलवंत सिंह रघुवंशी, अभिषेक अदिति रघुवंशी, ललित कुमार पाण्डेय, ममता दुबे, गोकुल कुशवाह, ज्ञानेश्वर शुक्ला आदि मौजूद रहे।