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देवासुर संग्राम से भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक तक किया मंचन

Staged from Devasur Sangram to Lord Shriram's coronation
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Staged from Devasur Sangram to Lord Shriram’s coronation

दिल्ली के कलकारों ने दी सम्पूर्ण संगीतमय नाटकीय रामलीला की प्रस्तुति
Staged from Devasur Sangram to Lord Shriram’s coronation भोपाल. राजाभोज की नगरी भोपाल के भेल दशहरा मैदान पर चल रहे भोजपाल महोत्सव मेला मंच पर शनिवार को संगीतमय सम्पूर्ण नाटकीय रामलीला की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम की शुरुआत शाम 7 बजे से मुख्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलित कर भगवान गणेश वंदना से की गई। इस मौके पर मेला अध्यक्ष सुनील यादव, महामंत्री हरीश कुमार राम के साथ ही मेला समिति के लोग मौजूद रहे।

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बता दें कि संस्कृति कला संगम नई दिल्ली द्वारा मेला मंच पर तीन घंटे में संस्था के 25 कलाकारों द्वारा सम्पूर्ण रामलीला की प्रस्तुति दी गई। संस्था के निर्देशक यश चौहान ने बताया कि रामलीला की शुरुआत देवासुर संग्राम के मंचन से की गई। इसमेंं भगवान विष्णु वरदान देते हैं कि वे धरती पर भगवान श्रीराम के रूप में अवतरित होंगे। इसके बाद अयोध्या में चारों भाइयों का जन्म होता है। इस दौरान पूरे नगर में उत्सव मनाया गया।

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महिलाओं ने बधाई गीत गए, ढोल नगाड़े की थाप पर प्रजा-पुरवासियों ने नाचते-गाते उत्सव मनाया। पूरे नगर को वंदनवार और लाइटों से सुसज्जित किया गया। प्रजा -पुरवासियों को उपहार दिए गए। कुल गुरु, पुरोहित और बाह्मणों को हीरे, जवाहरात, गौ, भूमि आदि का धान दिया गया। इसके बाद ताडक़ा वध, अहिल्या उद्धार, विश्वामित्र द्वारा राम-लक्ष्मण को लेकर जनकपुर जाना के प्रसंग का वर्णन किया गया।

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पुष्प वाटिका में भगवान श्रीराम और सीता का मिलन हुआ, जिसका कलाकारों ने भावपूर्ण मंचन किया। इसके बाद सीता स्वयंबर का आयोजन किया गया। इस दौरान पूरी जनकपुरी को सजाने के साथ ही उत्सव मनाया गया। इसके लक्ष्मण-परशुराम संवाद, अयोध्या में उत्सव मनाए जाने के साथ ही राम वनवास के लीला की प्रस्तुति दी गई। आगे के प्रसंग में केवट प्रसंग, पंचवटी में लक्ष्मण द्वारा सुर्पणखा का नाक-कान काटना, रावण द्वारा सीता का हरण, जटायु वध, भगवान श्रीराम की प्रतिज्ञा, सबरी भक्ति, भगवान श्रीराम व हनुमान जी का मिलन, बालि वध की प्रस्तुति दी गई।

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आगे के मंचन में सुंदरकांड की रामलीला में रामेश्वरम में भगवान श्रीराम द्वारा भगवान शिव की स्थापना की गई। शक्ति वाण लगने से लक्ष्मण जी को मुर्छा आना और लक्ष्मण द्वारा मेघनाद वध की प्रस्तुति दी गई। इसके बाद मंच पर कलाकारों ने भगवान श्रीराम और रावण के बीच युद्ध का मंचन और रावण वध की लीला की। कार्यक्रम के अंत में भगवान श्रीराम के 14 वर्ष बाद अयोध्या लौटने पर दीपावली का उत्सव मनाया गया।

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भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने की खुशी में प्रजा पुरवासियों ने अपने-अपने घरों के दरवाजे पर दीप जलाए। पूरे नगर को वंदनवार और लाइटों से सजाया गया। नगर की गलियों को फूल, माला और लडिय़ों से सुसज्जित किया गया। ढोल नगाड़े की थाप पर नृत्य गान होते रहे। इसके भगवान श्री रामजी का राज्याभिषेक की कलाकारों द्वारा शानदार प्रस्तुति दी गई। रामलीला का मंचन देखने मेला परिसर में 10 हजार से ज्यादा लोग मौजूद रहे।

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