इंदौर
हनीट्रैप (Hany Traip) मामले की जांच के लिए सोमवार को पुलिस मुख्यालय ने आईजी (CID) श्रीनिवास वर्मा के नेतृत्व में एसआईटी गठित कर दी। मंगलवार से इस पूरे मामले की जांच एसआईटी करेगी। वहीं मामले में इंदौर नगर निगम के इंजीनियर हरभजन सिंह को निलंबित कर दिया गया।
इससे पहले सोमवार को भोपाल ले जाने से पहले आरोपी आरती दयाल की फिर से तबीयत बिगड़ने पर उसे एमवाय अस्पताल में आईसीयू में भर्ती करवाना पड़ा। पुलिस उसे और मोनिका को लेने रिमांड रूम पहुंची थी, जहां वह बेसुध पड़ी थी। इसके बाद उसे पुलिस जीप में लिटाकर अस्पताल लाया गया। वहीं मोनिका को आगे की जांच के लिए पुलिस भोपाल लेकर रवाना हुई।
इसी मामले की सीबीआई जांच करवाने को लेकर सोमवार को हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में दो याचिकाएं दायर की गईं। दिग्विजय भंडारी ने वकील मनोहर दलाल के माध्यम से याचिका दायर की। याचिका में मांग की गई है कि मामले से जुड़े सभी वीडियो, सीडी, मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप और सीसीटीवी फुटेज को तत्काल कोर्ट की देखरेख में ले लिया जाए। याचिका में कहा गया है कि मामला हाई प्रोफाइल है, अत: सबूतों के साथ छेड़छाड़ हो सकती है अथवा इन्हें नष्ट किया जा सकता है।
इसी प्रकार की एक अन्य याचिका विपिन शर्मा ने वकील नरेन्द्र कुमार जैन के माध्यम से दायर की। इस याचिका में इंदौर नगर निगम के इंजीनियर हरभजन सिंह को आरोपी बनाने की मांग की गई है। दोनों याचिकाओं में मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग भी की गई है।
सोमवार को इंदौर नगर निगम के प्रभारी आयुक्त कृष्ण चेतन्य ने आदेश जारी करते हुए अधिक्षण यंत्री हरभजन सिंह को निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई मप्र सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के विपरीत आचरण करने पर की गई है। आदेश में शासकीय सेवकों के आचरण के संबंध में टिप्पणी करते हुए कहा गया है कि ' जिस समाज में वह रहता है उसके प्रचलित शिष्टाचार तथा नैतिकता के साधारण प्रतिमान के अनुसार उसे होना चाहिए'। हरभजन सिंह का कृत्य पदीय दायित्वों से भिन्न होकर स्वैच्छिक कार्य प्रणाली को दर्शाता है, उनके इस कृत्य से निगम की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिन्ह उत्पन्न होने लगे थे। उनका कृत्य प्रथम दृष्टया अशोभनीय होकर नैतिक पतन का परिचायक है। इस स्थिति केा देखते हुए हरभजन सिंह को मप्र सिविल सेवा (वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के नियम 09 के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है। निलंबन अवधि में इनका मुख्यालय पम्पिंग स्टेशन जलूद रहेगा।
इसके पहले रविवार को कोर्ट में सुनवाई के दौरान आरती और मोनिका रोने लगीं थीं। पेशी के बाद थाने पहुंचते ही दोनों की तबीयत खराब हो गई तो उन्हें एमवाय अस्पताल ले जाया गया। डिहाइड्रेशन की शिकायत के चलते दोनों को उपचार देकर रात को ही वापस महिला थाने भेज दिया गया था।
हनीट्रैप केस की आरोपी आरती दयाल और मोनिका यादव का रिमांड बढ़ाने के लिए रविवार को पहली बार पुलिस ने कोर्ट में कहा कि दोनों ने कई बड़ी हस्तियों को ब्लैकमेल किया। ये फर्जी आधार कार्ड बनाकर होटलों में रुकीं और मोबाइल से कई वीडियो बनाए। आगे की जांच और उनके घरों पर छापे मारने के लिए कोर्ट ने इन्हें शुक्रवार यानी 27 सितंबर तक पुलिस रिमांड पर सौंपा है, जबकि ड्राइवर ओमप्रकाश को जेल भेज दिया।
कोर्ट में पलासिया थाने के नए टीआई शशिकांत चौरसिया खुद पेश हुए और कहा कि दोनों ही आरोपी काफी शातिर हैं। इनके पास कई फर्जी आधार कार्ड हैं। इनसे निगम इंजीनियर हरभजन सिंह से वसूले गए रुपए जब्त करना है, इसलिए इनका रिमांड चाहिए। न्यायाधीश ने पुलिस से छतरपुर की दूरी पूछी। टीआई ने कहा कि लगभग 650 किमी का सफर करना होगा।
आरोपियों के वकील ने कहा कि पुलिस ने सारी चीजें जब्त कर ली, अब उन्हें सिर्फ परेशान किया जा रहा है। इन्होंने और किसी बड़ी हस्ती को ब्लैकमेल किया है, तो पुलिस नाम जाहिर करें। दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने रिमांड बढ़ा दिया। सुनवाई के दौरान ही दोनों फूट-फूटकर रोने लगी थी।
आरती और मोनिका से पूछताछ में कई खुलासे हो रहे हैं। आरती को श्वेता ने नगर निगम इंजीनियर हरभजन सिंह से मिलवाया था, तभी आरती ने उसे फंसाने की स्क्रिप्ट तैयार कर ली थी। पहले तो आरती ने खुद हरभजन पर डोरे डाले और रिलेशन बनाने के लिए वॉट्सएप पर कई मैसेज भेजे। दो-तीन बार इंदौर के कैफे और रेस्त्रां में मुलाकात भी की, लेकिन जब उसे लगा कि वीडियो बनाना आसान नहीं है तो फिर उसने इस गेम में मोनिका को शामिल किया। उसे वह समझाकर लाई कि इंजीनियर बड़ा आसामी है। मुझे पैसा और तुम्हें सरकारी नौकरी मिलेगी। इसमें आरती को लगा कि अगर धमकाने के दौरान कभी वीडियो वायरल भी हो गया तो उसकी बदनामी नहीं होगी।