मध्य प्रदेश

क्यूआर कोड से पौधों की जड़-पत्ती के औषधीय गुणों का चलेगा पता

QR code will reveal the medicinal properties of plant roots and leaves
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पेड़ों के बारे में जागरुकता फैलाने महात्मा गांधी हायर सेकंडरी स्कूल (सीएम राइज) के विद्यार्थियों ने विद्यालय का किया बॉटनिकल सर्वे
QR code will reveal the medicinal properties of plant roots and leaves: भोपाल. गुरु भगवान से भी बढकऱ हैं, जो अपने शिष्यों को अलग-अलग माध्यमों से शिक्षित कर उन्हें अव्वल बनाते हैं। उनके पढ़ाए हुए विद्यार्थी जब किसी बड़े पद पर पहुंचते हैं, किसी बड़े सम्मान के हकदार होते हैं, तो इसके पीछे गुरु की मेहनत, परिश्रम और आशीर्वाद होता है। कुछ ऐसा ही प्रयास इन दिनों शासकीय महात्मा गांधी हायर सेकंडरी स्कूल (सीएम राइज) की विज्ञान की शिक्षिका डॉ अर्चना शुक्ला द्वारा किया जा रहा है। वे अपने विद्यार्थियों को अलग-अलग माध्यमों से पढ़ाई कराकर उन्हें हर मंच पर अव्वल बनाना चाहती हैं।

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बता दें कि विद्यालय के नवमी व 11वीं के विद्यार्थियों ने डॉ. शुक्ला के मार्गदर्शन में पर्यावरण को बचाने तथा पेड़ों के बारे में जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से विद्यालय का बॉटनिकल सर्वे किया। अब वे पेड़ों के लिए क्यूआर कोड बनाकर पेड़ों पर लगा रहे हैं। इसके लिए पूरे विद्यालय को 3 जोन में विभाजित कर वहां लगे पेड़ों का बॉटनिकल सर्वे किया गया। इसमें विद्यार्थियों को 1,028 पौधे मिले, जिनमें 34 प्रकार के 521 पेड़ हैं। श्रब्स 13 प्रकार के 172 हैं। हब्र्स 9 प्रकार के 300 हैं। क्लाइंबर्स 6 प्रकार के 35 हैं। बॉटनिकल सर्वे में सबसे ज्यादा संख्या पलाश के पेड़ों की है।

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विद्यालय में पलाश के 200 पेड़ लगे हुए हैं, इसके बाद यूकेलिप्टस 70, सेना 50, बबूल 15, सीताफल के 10, नीम के 31, अशोक के 26, शीशम के 20 पेड़ है। पीपल के दो, गूलर का एक, बरगद दो, अर्जुन का एक लगा हुआ है। विद्यालय में एक भी जंगल जलेबी का बड़ा पेड़ नहीं है, इसको देखते हुए बच्चों ने विद्यालय परिसर में 14 जंगल जलेबी के पेड़ लगाए हैं। इस मौके पर विद्यार्थियों ने भविष्य में महुआ जैसे स्थानीय पौधों को रोपित करने का संकल्प लिया।

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विद्यार्थी इन पौधों को पहचान सकें इसके लिए 11वीं गणित के विद्यार्थी तनिष्क ढोले के साथ क्यूआर कोड की टीम द्वारा क्यूआर कोड बनाकर पेड़ों पर लगाए जा रहे हैं। विद्यालय का बॉटनिकल सर्वे शिक्षिका डॉ. अर्चना शुक्ला के मार्गदर्शन में मुख्यत: 11वीं बायोलॉजी के विद्यार्थी तनिष्का भारत तथा खुशी यादव द्वारा किया गया।

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अतिथियों ने पेड़ों पर लगाया क्यूआर कोड
विद्यार्थियों के कार्य की सराहना करते हुए कलेक्टर अविनाश लवानिया, जिला शिक्षा अधिकारी नितिन सक्सेना, प्राचार्य हेमलता परिहार ने पेड़ों पर विद्यार्थियों द्वारा बनाए क्यूआर कोड को लगाया। बता दें कि विद्यार्थी तनिष्क ढोले और तनिष्का भारत द्वारा यह प्रोजेक्ट नेशनल जनरल साइंस कांग्रेस में प्रस्तुत किया गया। इन विद्यार्थियों का सिलेक्शन राज्य स्तरीय के लिए किया गया है।

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एक पेड़ पर आता है 10-15 रुपए का खर्च
इनके क्यूआर कोड को पेड़ में लगाने में बेहद कम खर्चा, लगभग एक पेड़ पर 10 से 15 रुपए खर्च आता है, जिसे अभी विद्यार्थी व्यक्तिगत रूप से कर रहे हैं। डॉ. अर्चना शुक्ला का कहना है कि भोपाल वह पहली सिटी बने जहां सभी पार्क तथा सार्वजनिक स्थल में सभी पेड़ में क्यूआर कोड लगा हो, जिससे कि लोगों को इनके बारे में जागरूक किया जा सके तथा स्थानीय पौधों को बचाया जा सके। बॉटनिकल सर्वे का एक और फायदा यह है कि पेड़ों की संख्या के आधार पर हम भविष्य में कौन से पेड़ लगाने हैं तथा किन की संख्या पहले से ज्यादा है, इसका निर्णय भी ले सकते हैं।

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क्यूआर कोड में होती है पौधों की जानकारी
क्यूआर कोड को ब्लॉग द्वारा डवलप किया गया है। इसमें पौधे का वैज्ञानिक, अंग्रेजी तथा स्थानीय नाम के साथ उसके पेड़, फूल, पत्ती, जड़, औषधीय गुण के साथ उससे संबंधित अन्य जानकारियां उपलब्ध कराई गई हैं। क्यूआर कोड में पौधे के फूल, फल के साथ पूरे पौधे की फोटो देख सकते हैं। क्यूआर कोड की खास बात यह है कि कोई नई जानकारी मिलने पर पुरानी जानकारी को किसी भी समय कंप्यूटर की मदद से कहीं पर भी एडिट कर सकते हैं।

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