राकेश शर्मा की 16वीं कृति ‘स्मृति रूपेण’ का लोकार्पण
Preserving memories will lead to ‘homecoming of thoughts’ – Prof. Sanjay Dwivedi: इंदौर. अपनी गौरवशाली परंपरा से भटककर हम एक अलग मार्ग पर चल पड़े, जिसके कारण विश्व गुरु भारत एक साधारण देश बन गया। अब हमारी स्मृतियां ही हमारे खोए हुए बौद्धिक, आध्यात्मिक और आर्थिक वैभव को वापस दिला सकती हैं। इसके लिए ‘विचारों की घर वापसी’ जरूरी है। यह बात भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक प्रो.संजय द्विवेदी ने इंदौर स्थित श्री मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति में आयोजित राकेश शर्मा की पुस्तक ‘स्मृति रूपेण’ के लोकार्पण समारोह में अध्यक्ष की आसंदी से संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि स्मृतियां हमारी संस्कारी ताकत हैं और बौद्धिक बल भी प्रदान करती हैं। राकेश शर्मा जैसे लेखक हमें समृद्ध करते हैं, क्योंकि वे आधुनिक समय का पाठ भी परंपरा की जमीन पर करते हैं। प्रो. द्विवेदी ने कहा कि जो अपनी स्मृतियों से टूट जाता है, वह अपना सब कुछ खो देता है।
विशेष अतिथि फगवाड़ा (पंजाब) से आए डॉ. अनिल पांडे ने कहा कि यह कृति ‘स्मृति रूपेण’ जड़ता में प्राण फूंकती है और संस्कृति तथा व्यावहारिकता को दृष्टि प्रदान करती है। डॉ. वसुधा गाडगिल ने कृति पर विस्तार से समीक्षात्मक विचार व्यक्त किए और कृति को साहित्य की धरोहर बताया। इस मौके पर मध्यप्रदेश नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. सचिन चतुर्वेदी ने भी अपनी बात रखी। कृतिकार राकेश शर्मा ने इस प्रकार के संस्मरण आधारित कृति लिखने पर अपने विचार व्यक्त किए तथा वीणा पत्रिका और अन्य साहित्यकार जिनसे उन्हें प्रेरणा मिली उनके प्रति आभार व्यक्त किया।
इस मौके पर समिति के प्रधानमंत्री अरविंद जवलेकर, प्रचार मंत्री हरे राम बाजपेई, प्रभु त्रिवेदी, प्रख्यात ललित निबंधकार नर्मदा प्रसाद उपाध्याय, कथाकार सूर्यकांत नागर, वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण कुमार अष्ठाना, गोपाल माहेश्वरी, मुकेश तिवारी, अश्विन खरे, डॉ. पद्मा सिंह, डॉ. वंदना अग्निहोत्री, डॉ. पुष्पेंद्र दुबे, सदाशिव कौतुक सहित अन्य लोग मौजूद रहे।