नई दिल्ली
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) तैयार होने की प्रक्रिया के पूरे होने में अब एक दिन का समय बचा है. 31 अगस्त को एनआरसी का प्रकाशन होना है. इससे पहले असम की पुलिस ने प्रदेश में अफवाह और भ्रम की स्थिति पैदा करने वालों से निपटने के लिए कमर कस ली है. राज्य की पुलिस ने लोगों से भ्रम पैदा करने की कोशिश में जुटे तत्वों द्वारा फैलाई जा रही अफवाहों में नहीं आने अपील की है.
पुलिस ने कहा कि सरकार ने उन लोगों के लिए समुचित सुरक्षा मानकों की व्यस्था की है जिनका नाम अंतिम एनआरसी में नहीं आया हो. असम में एनआरसी के प्रकाशन के दौरान शांति-व्यवस्था कायम रखने के लिए सुरक्षा कड़ी कर दी गई है.
सुरक्षा के मद्देनजर राज्य के विभिन्न हिस्सों में धारा 144 लगाई गई है. एनआरसी को राज्य में मूल लोगों को अवैध बांग्लादेशियों से बचाने के लिए सुरक्षा कवच और असमी पहचान के सबूत के रूप में देखा जा रहा है.
असम पुलिस ने गुरुवार को ट्वीट किया, 'सरकार ने उन लोगों के लिए समुचित सुरक्षा मानक की व्यवस्था की है जिनका नाम यदि अंतिम एनआरसी में नहीं आया. अफवाहों पर ध्यान मत दें, कुछ तत्व समाज में भ्रम पैदा करने की चेष्टा कर रहे हैं. नागरिकों की सुरक्षा हमारी शीर्ष प्राथमिकता है.'
किसी अप्रिय घटना को टालने के लिए पुलिस बल ने 5 सूत्री परामर्श भी जारी किया है जिसमें कहा गया है कि एनआरसी में नाम नहीं आने का मतलब यह नहीं है कि अमुक व्यक्ति को विदेशी घोषित कर दिया गया. अंतिम एनआरसी से बाहर रह गया हर व्यक्ति विदेशी न्यायाधिकरण में अपील कर सकता है.
पुलिस ने कहा है, 'विदेशी न्यायाधिकरण में अपील करने की समय सीमा 60 से बढ़ाकर 120 कर दी गयी है. सरकार जिला विधिक सेवा प्राधिकारियों के माध्यम से उन जरूरतमंदों को कानूनी सहायता प्रदान करेगी जो एनआरसी से बाहर रह गए हैं तथा सुविधाजनक स्थानों पर और विदेशी न्यायाधिकरण स्थापित किए जा रहे हैं.'
इस बीच असम सरकार ने एनआरसी के प्रकाशन, उससे पहले और बाद के लिए सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम किए हैं. मुख्यमंत्री ने 23 अगस्त को यहां सभी जिलों के उपायुक्तों एवं पुलिस अधीक्षकों के साथ एक बैठक में कानून व्यवस्था की समीक्षा की थी.
'स्वतंत्र एवं निष्पक्ष' एनआरसी पर कई पार्टियों ने उठाए सवाल
भाजपा, कांग्रेस और एआईयूडीएफ समेत सभी बड़े राजनीतिक दलों ने शंका जाहिर की है कि कई वास्तविक भारतीय नागरिकों के नाम एनआरसी से छूट सकते हैं जबकि अवैध विदेशियों के नाम शामिल किए जा सकते हैं. इसी तरह का शक मूल याचिकाकर्ता, असम पब्लिक वर्क्स (APW) ने भी जताया है.
APW की याचिका पर शीर्ष अदालत ने अपनी निगरानी में एनआरसी को अपडेट करने का निर्देश दिया था. एनजीओ APW के अध्यक्ष अभिजीत शर्मा ने कहा कि एनआरसी मामले के मूल याचिकाकर्ताओं के तौर पर हम इस प्रक्रिया से खुश नहीं हैं. हमने उच्चतम न्यायालय से 100 प्रतिशत पुन: सत्यापन का अनुरोध किया है लेकिन हमारी मांग नहीं मानी गई.
उनका कहना है कि उन्हें इस बात का डर है कि कई अवैध विदेशियों के नाम उसमें होंगे जबकि असल भारतीय नागरिकों को छोड़ दिया जाएगा. शर्मा ने कहा, 'अगर एनआरसी के बाद अवैध विदेशियों के नाम सूची में हुए तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा. एनआरसी राज्य समन्वयक को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.'