मध्य प्रदेश

MP: फ्लोर टेस्ट से पहले शिवराज समेत बीजेपी के दिग्गज नेताओं की बैठक, सिंधिया भी मौजूद

नई दिल्ली

मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार को सोमवार को फ्लोर टेस्ट का सामना करना है। इससे पहले दिल्ली में बीजेपी के दिग्गज नेताओं की बैठक हुई। इस बैठक में पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस से बीजेपी में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मौजूद रहे।केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के आवास पर हुई बैठक में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, ज्योतिरादित्य सिंधिया मौजूद हैं। इसके बाद तीनों नेताओं ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से मुलाकात की।

 

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को सोमवार को राज्यपाल के अभिभाषण के तत्काल बाद विश्वास प्रस्ताव पर मतदान कराने के निर्देश दिए हैं। राज्यपाल ने पत्र भेजकर शनिवार मध्यरात्रि के आसपास कमलनाथ को ये निर्देश दिए हैं।

 

टंडन ने निर्देश दिए हैं, 'मध्यप्रदेश विधानसभा का सत्र 16 मार्च 2020 को प्रातः 11 बजे प्रारंभ होगा और राज्यपाल के अभिभाषण के तत्काल बाद एकमात्र कार्य विश्वास प्रस्ताव पर मतदान होगा।' इसके अलावा, राज्यपाल ने निर्देश दिए हैं, 'विश्वासमत मतविभाजन के आधार पर बटन दबाकर ही होगा और अन्य किसी तरीके से नहीं किया जाएगा।'

 

उन्होंने कहा है कि विश्वासमत की संपूर्ण प्रक्रिया की वीडियोग्राफी विधानसभा स्वतंत्र व्यक्तियों से कराएगी।राज्यपाल ने कहा है कि उपरोक्त संपूर्ण कार्यवाही हर हाल में 16 मार्च 2020 को प्रारम्भ होगी और यह स्थगित, विलंबित या निलंबित नहीं की जाएगी।राज्यपाल ने ये निर्देश संविधान के अनुच्छेद 174 सहपठित 175 (2) एवं अपनी अन्य संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए दिए हैं। उन्होंने बताया कि राज्यपाल ने इस पत्र में यह भी कहा, 'मुझे सूचना मिली है कि मध्यप्रदेश विधानसभा के 22 विधायकों ने अपना त्यागपत्र विधानसभा अध्यक्ष को प्रेषित किया है। मुझे भी इन विधायकों ने पृथक-पृथक त्यागपत्र 10 मार्च को भेजे हैं और इन्हीं विधायकों ने अपने-अपने पत्र 13 मार्च द्वारा विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष पेश होने के दौरान सुरक्षा प्रदान करने का अनुरोध किया है। 22 में से छह विधायक जो आपकी सरकार में मंत्री थे, जिन्हें आपकी अनुशंसा पर मंत्री पद से हटाया गया था, उनका त्यागपत्र विधानसभा अध्यक्ष ने शनिवार को स्वीकार कर लिया।'

 

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस की उपेक्षा से परेशान होकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और वह बुधवार को भाजपा में शामिल हो गए। उनके साथ ही मध्यप्रदेश के छह मंत्रियों सहित 22 कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था, जिनमें से अधिकांश उनके कट्टर समर्थक हैं। इन 22 विधायकों में से 19 बेंगलुरू में एक रिजॉर्ट में है, जबकि तीन विधायकों का अब तक कोई पता-ठिकाना नहीं है। इससे प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिरने के कगार पर पहुंच गई है। 

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