भोपाल
मध्य प्रदेश (madhya pradesh) के बाद अब दिल्ली (delhi) की बारी है. मोदी सरकार (modi government) की आर्थिक नीतियों के विरोध में कांग्रेस का 14 दिसंबर को दिल्ली में हल्ला बोल है. इस महारैली (maha rally) में महा भीड़ जुटाने के लिए सभी बड़े नेताओं को बड़ा टारगेट दे दिया गया है. मध्य प्रदेश से करीब 60 हज़ार कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटाने का लक्ष्य है.
25 नवंबर को मध्य प्रदेश में मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन के बाद अब कांग्रेस दिल्ली कूच कर रही है. यहां 14 दिसंबर को पार्टी की महारैली है. मुद्दा वही है आर्थिक नीतियां, किसान और बाढ़ पीड़ितों के लिए मुआवज़ा. महा रैली में नाम के अनुरूप भीड़ भी जुट सके, इसकी तैयारी पार्टी कर रही है. पार्टी के बड़े नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी गयी है.प्रदेश से करीब साठ हजार कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटाने का लक्ष्य है. इसके लिए पीसीसी ने संभाग स्तर पर प्रभारी नियुक्त कर दिए हैं. इनमें कांग्रेस के मौजूदा विधायक, पूर्व मंत्री, जिला अध्यक्ष शामिल हैं.
ये प्रभारी अब संभाग के तहत आने वाले ज़िलों में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर उन्हें महारैली के लिए तैयार करेंगे. पार्टी की कोशिश है कि भोपाल सहित दिल्ली से लगे ग्वालियर-चंबल संभाग से ज़्यादा से ज़्यादा कार्यकर्ता महारैली में पहुंचे, ताकि प्रदेश में सत्ता पाने के बाद दिल्ली की रैली में प्रदेश का दबदबा नज़र आए और पीसीसी चीफ कमलनाथ को मिली जिम्मेदारी पूरी हो सके.
पीसीसी ने संभाग स्तर पर जिन नेताओं को प्रभारी बनाया है,उसमें चंबल ग्वालियर संभाग की जि़म्मेदारी रामनिवास रावत और अशोक सिंह को दी गई है. सागर संभाग अरुणोदय चौबे और चंद्रिका प्रसाद द्विवेदी के हवाले है.रीवा संभाग में राजमणि पटेल और राजाराम त्रिपाठी ये जिम्मेदारी संभालेंगे. शहडोल में बिसाहू लाल सिंह और अजय सिंह कार्यकर्ताओं की बैठक लेंगे. जबलपुर में रजनीश सिंह और ब्रज बिहारी पटेल प्रभारी बनाए गए हैं.भोपाल होशंगाबाद संभाग में सुनील सूद, महेंद्र सिंह चौहान और राजकुमार पटेल कार्यकर्ताओं की बैठक लेंगे. ठीक इसी तरह उज्जैन की ज़िम्मेदारी सत्यनारायण पवार और रामवीर सिकरवार को दी गयी है.इंदौर का गजेंद्र सिंह राजू खेड़ी, सत्यनारायण पटेल और पंकज संघवी को बनाया प्रभारी बनाया है.
दरअसल कांग्रेस का दावा है कि केंद्र की मोदी सरकार की दूसरी पारी का ये अब तक का सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन होगा.महाराष्ट्र में बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के बाद कांग्रेस खासी उत्साहित है. उसका मानना है कि सोनिया गांधी के दोबारा पार्टी की कमान संभालने के बाद पार्टी फिर से मज़बूत हो रही है. अपनी इसी ताकत का प्रदर्शन वो इस महारैली में करना चाहती है. इस सिलसिले में पिछले दिनों दिल्ली में सोनिया गांधी ने बैठक कर सभी पीसीसी इकाइयों को निर्देश जारी किए थे. चूंकि मध्य प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में है, इसलिए पीसीसी मानती है कि इस रैली को सफल बनाने की ज़िम्मेदारी उस पर ज़्यादा है.
कांग्रेस की दिल्ली में होने वाली महारैली में पार्टी बीजेपी सरकार की आर्थिक नीतियों के खिलाफ हल्ला बोल कर देश की जनता को केंद्र सरकार की विफलता बताएगी. पार्टी चाहती है कि सोनिया गांधी के नेतृत्व में होने वाली रैली में पुरानी रैली और सभाओं के आंकड़ों को तोड़ा जाए. पार्टी जनता को ये संदेश दे सके कि अब गलत नीतियों के खिलाफ विपक्ष ख़ामोश नहीं रहेगा.