भेल दशहरा मैदान पर चल रही श्रीराम कथा सुनने पहुंची साधना सिंह से रामभद्राचार्य महाराज ने कहा
भोपाल को भोजपाल बनाने साधना ङ्क्षसह कह देंगी तो शिवराज सिंह कभी मना नहीं करेंगे
Make Bhopal Bhojpal with Chief Minister Shivraj Singh Chouhan, this is your Guru Dakshina भोपाल. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भोपाल को भोजपाल बनवा दो आपकी यही गुरु दक्षिणा है। यह बात राजधानी के भेल दशहरा मैदान पर चल रही श्रीराम कथा सुनने रविवार को पहुंची मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की धर्म पत्नी साधना सिंह से जगदगुरु रामभद्राचार्य महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि साधना सिंह कह देंगी तो ऐसा नहीं है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भोपाल को भोजपाल बनाने से मना कर दें। मैं मध्य प्रदेश सरकार से कह रहा हूं, केंद्र सरकार से भी कहूंगा कि भोपाल को भोजपाल बनाने में कोई परेशानी नहीं है। मैं आठ दिनों से अपनी कथा की प्रदेश सरकार से यही दक्षिणा मांग रहा हूं।
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भोज राजा जैसा कोई राजा नहीं हुआ
महाराज ने बताया कि भोज राजा जैसा कोई राजा नहीं हुआ। राजा विक्रमादित्या और भोज राजा की तुलना करते हुए महाराज ने कहा कि विक्रमादित्य जैसा किसी का शासन नहीं था और भोज राजा जैसा कोई वैदिक संरक्षक नहीं था। रामभद्राचार्य महाराज ने बताया कि भोज राजा एक श्लोक बनाने पर कवियों को एक लाख असरफियां दिया करते थे। मैं मध्य प्रदेश सरकार से असरफियां नहीं, भोपाल को भोजपाल बनाना चाहता हूं। यही मेरी असरफियां और गुरु दक्षिणा है। इससे हमारी गरिमा ही बढ़ेगी। महाराज ने कहा कि भोज राजा आज भले ही नहीं हैं, पर भारत के कवि आज भी हैं। इस मौके पर महाराज ने कई स्वरचित श्लोक बनाकर लोगोंं को सुनाया।
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संसार में जितने भी संबंध बनाओ वे कष्ट ही देते हैं
संसार में जितने भी संबंध बनाओ वे कष्ट ही देते हैं, लेकिन जब आप भगवान से संबंध बनाते हो तो वे आपको भवसागर से पर कर देते हैं। महाराज ने कहा कि अवध और मिथिला का हजारों करोड़ वर्ष से संबंध है। भोपाल के लोग मुझे बहुत प्रेम करते हैं। आगे की कथा सुनाते हुए रामभद्राचार्य महाराज ने बताया कि चंद्रमा की नौंवी कला चंद्रिका थी, जिसका रामचंद्र ने वन लीला में उपयोग किया। चंद्रिका का स्वभाव है कि वह चंद्रमा को छोडकऱ नहीं जाती। इसी तरह रामजी के बार-बार कहने के बाद भी सीता जी रामजी को छोडकऱ नहीं जाती हैं।
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बेटियों को संदेश खुद का व्यक्तित्व बनाएं
राम वनगमन की कथा सुनाते हुए कहा कि राजा दशरथ सुमंत जी को कहते हैं कि रथ पर ले जाकर दो चार दिन घुमाफिराकर वापस ले आना। यदि वे नहीं आते हैं तो किशोरी को वापस ले आना। यहां पहली बार दशरथ ने सीता जी को किशोरी कहा। वन गमन के दौरान राम ने सीता जी को अयोध्या जाने को कहा, तो इस पर सीता जी ने कहा कि मैं आग में चली जाऊंगी पर आपके बिना अयोध्या नहीं जाऊंगी। आगे की कथा में महाराज ने भगवान राम के चित्रकूट पहुंचने का वर्णन किया। इस मौके पर बेटियों को संदेश देते हुए कहा कि किशोरियां लव जेहाद के चक्कर में न फंसे, बल्कि रानी लक्ष्मी बाई और रानी कमलापति जैसा अपना व्यक्तित्व बनाएं।
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कथा में मुख्य यजमान शुभावती-हीरा प्रसाद यादव हैं। रविवार को कथा सुनने साधना-शिवारज सिंह चौहान, भाजपा नेता प्रभात झा, महापौर मालती राय, डोली-आलोक शर्मा, संगीता-रामेश्वर शर्मा, कल्पना दुबे, श्रीकृष्ण मंदिर अध्यक्ष राजेंद्र सिंह यादव, मेला समिति अध्यक्ष सुनील यादव, संयोजक विकास वीरानी, महामंत्री हरीश कुमार राम, उपाध्यक्ष वीरेंद्र तिवारी, के साथ ही मेला मेला समिति के पदाधिकारी मौजूद रहे।