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LIC: सरकार के कदमों पर टकटकी लगाकर बैठे हैं सांसद

नई दिल्ली
बजट में सरकार ने एलआईसी में हिस्सा बेचने की घोषणा की जिसे लेकर चोरों तरफ हल्ला है। कंपनी के कर्मचारी इसका विरोध कर रहे हैं और सांसद इसे लेकर सरकार के कदमों पर टकटकी लगाकर बैठे हैं। बजट में की गई घोषणाओं को लागू करने के लिए के लिए फाइनैंस बिल पारित कराने की तैयारी कर रही है। लेकिन राजनीतिक पार्टियां और सांसद यह जानना चाहते हैं कि एलआईसी में कुछ हिस्सेदारी बेचने की घोषणा को हकीकत बनाने के लिए सरकार कब और कैसे काम करेगी।

बजट सत्र में ही आएगा LIC पर प्रस्ताव?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में इसे लेकर कोई समयसीमा नहीं बताई थी। अगर सरकार LIC में हिस्सेदारी बेचने के लिए विधायी रास्ता अपनाती है तो उसे संसद के दोनों सदनों में LIC में संशोधन को पारित कराना होगा। कांग्रेस ने पहले ही LIC में हिस्सेदारी बेचने की सरकार की योजना पर आशंका जताई है और कहा है कि वह इस मामले में आंतरिक विचार विमर्श के बाद सदन में अपना पक्ष स्पष्ट करेगी। सरकार इसे लेकर मौजूदा सत्र में प्रस्ताव लाती है या नहीं, यह देखना दिलचस्प होगा क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि सरकार के बजट में कुछ अनुमान LIC में हिस्सेदारी बेचने से मिलने वाली रकम से जुड़े हैं।

IPO से पहले LIC की वित्तीय स्थिति का खुलासा करेगी सरकार?
बहुत से सांसद यह जानना चाहते हैं कि LIC का आईपीओ लाने से पहले कंपनी की वित्तीय स्थिति के बारे में जानकारी का खुलासा करने के नियम से सरकार कैसे निपटेगी। एक वरिष्ठ सांसद ने कहा, 'LIC से जुड़े आंकड़े सामने आने का काफी महत्व है और इसका बड़ा असर हो सकता है क्योंकि बहुत-सी सरकारों ने LIC के फंड का इस्तेमाल देश की वित्तीय स्थिति को बेहतर बनाने में किया है।'

LIC ऐक्ट में संशोधन किस बिल में?
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'LIC ऐक्ट में संशोधन करने के बिल को मनी बिल (जिसके लिए राज्यसभा की अनुमति की जरूरत नहीं होती) की कैटिगरी में नहीं रखा जा सकता। इस वजह से सरकार को इसे साधारण बिल के तौर पर लाना होगा। सरकार ऐसा करती है या नहीं यह देखना होगा।'

राज्यसभा से सहमति मुश्किल!
मोदी सरकार ने हाल के महीनों में राज्यसभा का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए किया है, लेकिन LIC में हिस्सेदारी बेचने के लिए राज्यसभा से सहमति लेना आसान नहीं होगा क्योंकि इस कंपनी को 'आम लोगों के धन की रक्षक' माना जाता है। सरकार इससे पहले तीन तलाक और आर्टिकल 370 जैसे राजनीतिक तौर पर संवेदनशील बिल पारित कराने में सफल रही थी।

बीएसपी के सांसद दानिश अली की राय भी ऐसी ही है। उन्होंने कहा, 'LIC में आम जनता ने अपनी मेहनत की कमाई का निवेश किया है और इस कंपनी के प्रबंधन में बदलाव से मुश्किल हो सकती है। LIC में हिस्सेदारी बेचने के बिल के खिलाफ हमारी पार्टी वोट देगी।' एनडीए में बीजेपी के सहयोगी अकाली दल के सांसद नरेश गुजराल ने कहा, 'मैं LIC में हिस्सेदारी बेचने का पूरी तरह समर्थन करता हूं क्योंकि सरकार की जिम्मेदारी बिजनस चलाने की नहीं है।'

समाजवादी पार्टी के राज्यसभा में नेता राम गोपाल यादव ने ईटी को बताया, 'हमारी पार्टी मुनाफे में चल रही सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने के खिलाफ है और इस वजह से हम LIC में स्टेक बेचने से जुड़े बिल का विरोध करेंगे।'

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