नई दिल्ली
दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून को लेकर हिंसा संबंधी शिकायतों पर एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने के अनुरोध वाली एक याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को तैयार हो गया। यह याचिका पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला और अन्य ने दाखिल की है। जस्टिस एस. के. कौल और जस्टिस के. एम. जोसफ की एक बेंच के सामने याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया। बेंच ने कहा कि वह बुधवार को इस पर सुनवाई करेगी।
उत्तर पूर्वी दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून को लेकर हिंसा में मंगलवार को मृतकों की संख्या बढ़कर 13 हो गई। हबीबुल्ला, भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद और सामाजिक कार्यकर्ता बहादुर अब्बास नकवी ने यह याचिका दायर की है। इसमें सीएए को लेकर शाहीन बाग और राष्ट्रीय राजधानी के अन्य हिस्सों में जारी धरनों में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने की मांग भी की गई है।
शीर्ष अदालत को शाहीन बाग से प्रदर्शनकारियों को हटाये जाने की मांग वाली दो अलग-अलग याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई करनी है। अपनी नई याचिका में हबीबुल्ला, आजाद और नकवी ने आरोप लगाया कि, 'कपिल मिश्रा, जो भीड़ को हिंसा और तोड़फोड़ के वास्ते उकसाने वाले बयान देने के लिए जाने जाते है, ने मौजपुर-बाबरपुर मेट्रो स्टेशन के पास सीएए के समर्थन में एक रैली निकाली थी। इसी मेट्रो स्टेशन से दो किलोमीटर दूर जाफराबाद में शांतिपूर्ण प्रदर्शन चल रहे थे।'
मीडिया रिपोर्टों का जिक्र करते हुए याचिका में आरोप लगाया गया है कि मिश्रा लोगों को उकसाने के बाद वहां से चले गए। इसके बाद जाफराबाद में हिंसा हुई और शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को सुरक्षा के लिए भागने को मजबूर होना पड़ा। इसमें आरोप लगाया गया है कि 23 फरवरी के हमले में घायल हुए लोगों ने पुलिस के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी लेकिन हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसमें 23 फरवरी की शाम शुरू हुए हमलों और 24 फरवरी को दिनभर चलने वाले इन हमलों के संबंध में की गई शिकायतों पर पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश देने की मांग की गई है।
याचिका में कहा गया है कि शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों को सरेआम धमकियां दी जा रही हैं कि उनका भी वही हश्र होगा जो जाफराबाद, चांदबाग में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रही महिला प्रदर्शनकारियों के साथ हुआ। इसलिए, शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा रोकने के लिए उचित आदेश देना जरूरी होगा और गुनाहगारों पर मामले दर्ज किए जाएं। इसमें दावा किया गया है कि दिन भर आगजनी, तोड़फोड़ की हिंसक घटनाएं होती रहीं लेकिन पुलिस ने हमलावरों के खिलाफ प्राथमिकियां दर्ज करने से इनकार कर दिया।
HC में भी आज सुनवाई
दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर उत्तर पूर्वी दिल्ली में हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और उन्हें गिरफ्तार किए जाने का अनुरोध करने वाली याचिका पर बुधवार को सुनवाई होगी। याचिका को त्वरित सुनवाई के लिए जस्टिस जी. एस. सिस्तानी और जस्टिस ए. जे. भंभानी की बेंच के सामने सूचीबद्ध किया गया। इस पर कोर्ट ने कहा कि वह बुधवार को याचिका पर सुनवाई करेगी।
पढ़ें: दिल्ली में उपद्रवियों को गोली मारने के आदेश
मानवाधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर और कार्यकर्ता फराह नकवी की ओर से दाखिल याचिका में घटना की जांच के लिए एसआईटी का गठन किए जाने और हिंसा में हताहत लोगों को मुआवजा दिए जाने की मांग की गई है। अधिवक्ता स्नेहा मुखर्जी ने याचिका का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी मांग है कि उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए जो लोगों को भड़का रहे हैं और नफरत भरे भाषण दे रहे हैं जिससे उत्तर पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में हिंसा फैली हुई है। याचिका में राष्ट्रीय राजधानी और ऐसे क्षेत्र में जहां 'लोगों पर सांप्रदायिक हमले अधिक हो रहे हैं,' कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए केन्द्र को सेना की तैनाती करने के निर्देश दिए जाने का अनुरोध भी किया गया है।