भोपाल
पुलवामा में हुए हमले से सीख लेते हुए डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) ने हीमोस्टेटिक जैल तैयार किया है। इसे घायल जवान को लगाते ही करीब 20 सेकंड के अंदर खून बहना बंद हो जाएगा। इससे हमले में घायल जवान की जान बचाई जा सकेगी। यह बात डीआरडीओ के डायरेक्टर जनरल एके सिंह ने नईदुनिया से विशेष चर्चा के दौरान कही। शनिवार को सिंह राजधानी में स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर (एसपीए) के दीक्षा समारोह में शामिल होने आए थे। जनरल एके सिंह ने बताया कि हीमोस्टेटिक जेल की टेस्टिंग फिलहाल दिल्ली एम्स के जयप्रकाश नारायण ट्रॉमा सेंटर में चल रही है। जल्द ही इसे सेना समेत अन्य राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के उपयोग के लिए उपलब्ध करा दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि हमले में 60 फीसदी लोगों की जान खून बहने के कारण जाती है। यदि खून बहना रोक दिया जाए तो जान बचने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है।
डीआरडीओ की प्रयोगशाला इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड अलाइड साइंस ने यह जैल तैयार किया है। इसे लगाने से खून बहना रुक जाएगा। इसके बाद उस जवान को अस्पताल पहुंचाकर इलाज किया जा सकता है। अभी ज्यादा खून बहने से हमले में घायल जवान अस्पताल पहुंचने के पहले ही दम तोड़ देते हैं।
सिंह ने बताया कि अब तक राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों में महिलाओं की मैदानी पोस्टिंग नहीं होती थी जो अब होने लगी है। उन्हीं महिलाओं की कद काठी को ध्यान में रखकर डीआरडीओ की ही प्रयोगशाला रक्षा शरीर क्रिया एवं संबंद्ध विज्ञान ने बॉडी ऑर्मर तैयार किया है। किसी भी हमले से निपटने के लिए महिलाएं भी अब बॉडी ऑर्मर पहन सकेंगी।
बायोडाइजेस्टर टेक्नोलॉजी पर काम करने के लिए डीआरडीओ ने 11 अक्टूबर को मिजारेम सरकार के साथ एमओयू किया है। इस टेक्नोलॉजी से पानी को रिसायकल कर दोबारा प्रयोग किया जा सकेगा। फिलहाल पीने के अलावा इस पानी का उपयोग किया जा सकेगा। इसमें कारों की धुलाई, फ्लश के लिए और गार्डन में पानी देना शामिल है।