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CJI ने दिए संकेत, अयोध्या मामले में कल सुनवाई पूरी होने की उम्मीद

 
नई दिल्ली
 
लंबे समय से अदालत में चल रहे अयोध्या मामले में फैसले की घड़ी करीब आ गई है. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई पूरी होने की उम्मीद जताई है. उम्मीद है कि कल भोजनावकाश के बाद मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर बहस हो जाए. CJI ने ऐसे संकेत दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई का समय तय कर दिया है. मुस्लिम पक्ष के वकील को एक घंटे और हिंदू पक्ष के वकील को 45 मिनट मिलेगा. वहीं, चारों हिंदू पक्षकारों को 45-45 मिनट समय दिया गया है. इससे पहले हिंदू पक्ष की ओर से दलीलें रखी गईं. मंगलवार को इस मसले की सुनवाई का 39वां दिन था.

आज की सुनवाई के बड़े अपडेट:
 सुप्रीम कोर्ट में चल रही अयोध्या मामले की सुनवाई कल यानी बुधवार को पूरी होने की उम्मीद जताई गई है. उम्मीद है कि कल दोपहर बाद यानी भोजनावकाश के बाद मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर बहस हो जाए. CJI ने ऐसे संकेत दिए हैं.

 वैद्यनाथन ने कहा कि हाई कोर्ट ने भी माना है कि मूल दस्तावेजों में मस्जिद को ग्रांट यानी वित्तीय मदद का कोई सबूत नहीं है, लेकिन 1860 के बताए जा रहे दस्तावेजों के अनुवाद में ग्रांट की बात कही जा रही है. ये गलत है क्योंकि हाई कोर्ट में जो दस्तावेज दिया गया यहां उससे अलग दलील और दस्तावेज दिए गए. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ग्रांट की दलील से उनका कोई कब्जा सिद्ध नहीं हो रहा, हां वो मस्जिद का वजूद बता रहे हैं. उन्होंने कहा कि तत्कालीन सरकारें ग्रांट देती रही हैं. हो सकता है कि गलत जगह या लोगों को भी ग्रांट मिली हो. इस बीच CJI ने कहा कि अब बेंच ने उठने से पहले तय किया कि वैद्यनाथन 45 मिनट और धवन 1 घंटे लेंगे. फिर 45-45 मिनट दोनों पक्षों को दलीलों के जवाब के लिए मिलेंगे.

 वैद्यनाथन ने कहा कि ये इमारत तो मस्जिद के तौर पर इस्तेमाल हो रही थी न कि इसे मस्जिद के तौर पर समर्पित किया गया था. वहीं, जस्टिस बोबड़े ने कहा कि समर्पण तो निष्कर्ष चीज है क्या उसे सबूत माना जा सकता है? इस पर वैद्यनाथन ने कहा कि ये बात तो जस्टिस खान ने भी कही है कि जब किसी सम्पत्ति के दो दावेदार और इस्तेमाल करने वाले हों तो उसे वक्फ नहीं किया जा सकता. इसलिए वहां कोई विशिष्ट तौर पर समर्पण नहीं था. जस्टिस बोबड़े ने पूछे वो मस्जिद के तौर पर इस्तेमाल तो हो रही थी? जवाब में वैद्यनाथन ने कहा हां, लेकिन उनके पास पजेशन के अधिकार का कोई सबूत नहीं है. इस बीच एक बार फिर राजीव धवन ने आपत्ति जताई तो CJI ने धवन को बुरी तरह डांटा और बैठने को कहा. धवन माफी मांगते हुए बैठ गए.

 टी ब्रेक के बाद सुनवाई फिर शुरू हो गई है. परासरण के बाद अब हिंदू पक्षकारों की ओर से सीएस वैद्यनाथन दलीले दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड 1949 से लेकर 1992 तक कब्जा खो चुके थे. ग्रांट, वक्फ और एडवर्स पजेशन को मुस्लिम पक्षकारों ने अपील का आधार बनाया है. ये सब ढांचे को लेकर हैं. जमीन पर अधिकार हमारा ही है. वहीं, राजीव धवन ने वैद्यनाथन की दलील पर चीखते हुए कहा 'जस्ट स्टॉप इट'. इस तरह की आपत्ति पर वैद्यनाथन नाराज हुए और कहा कि इनको ये हक नहीं है. मैं कोर्ट का सम्मान करता हूं और इनका विरोध करता हूं. इस पर CJI ने कहा कि अगर हमें आपकी दलील पर आपत्ति होगी तो हम कहेंगे. आप उनकी बातों को दरकिनार कर दें. आप दलील जारी रखें.
 अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में CJI जस्टिस रंजन गोगोई ने हिंदू पक्ष के वकील सीएस वैद्यनाथन से पूछा आप कितना समय चाहते हैं ? इस पर सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि 2 घंटे उन्हें बहस करने के लिए चाहिए. कोर्ट ने कहा कि हम आपको बहस के लिए दो घंटे नहीं देंगे. CJI ने 4.15 से 5.15 बजे तक बहस पूरी करने को कहा. सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि आप हमें कल का 60 मिनट बहस के लिए दे दीजिए.  CJI ने कहा कि हमनें ऐसे बहुत वादे देखे हैं. CJI ने नाराजगी जाहिर करते हुए करते हुए कहा ऐसे तो बहस दीवाली के बाद भी चलती रहेगी. वहीं, वैद्यनाथन ने कहा कि हमनें कभी वादा नहीं तोड़ा है.
 वकील के. परासरण ने सुनवाई में कहा कि इलाहाबाद की कोर्ट ने भी 1885 केस के संबंध में कुछ कहा है. तब मजिस्ट्रेट के द्वारा उस जगह की जांच की गई थी, उस दौरान उन्होंने इस बात पर नाराजगी जाहिर की थी कि हिंदुओं के पवित्र स्थान पर मस्जिद बनाई गई है. लेकिन बाद में ये बात सामने आई कि ये 250 साल पुराना मामला है. पहले भी हिंदुओं के पक्ष में बात सामने आई थी, लेकिन मुस्लिम पक्ष को अभी सबूत देना बाकी है.
 लंच के बाद जब सुनवाई शुरू हुई तो के. परासरण ने अपनी दलील जारी रखी. उन्होंने कहा कि मुस्लिम पक्ष कहता है कि हिंदुओं के पास सिर्फ पूजा का अधिकार है. लेकिन इसमें संपत्ति के बारे में देखना होगा. इसपर जस्टिस बोबड़े ने कहा कि पूजा करने वालों को जमीन का अधिकार दिया जा सकता है?

के परासरण ने कहा कि इस पर सार्वजनिक सामित्व नहीं हो सकता है, जबतक की जमीन का टाइटल तय ना हो जाए. कोई भी इस जमीन पर अपना कब्जे का दावा नहीं कर सकता, न हिंदू, न मुस्लिम क्योंकि ये सार्वजनिक पूजा स्थल है.

इस पर मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने सवाल किए और कहा कि इस बारे में लड़ाई नहीं है. सवाल ये है कि ये जमीन वक्फ की प्रॉपर्टी है.

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