बेंगलुरु
उम्मीद पर दुनिया कायम है. विक्रम लैंडर फिर से काम करेगा, इसी उम्मीद के साथ इसरो वैज्ञानिक अब भी काम कर रहे हैं. इसरो के विश्वस्त सूत्रों के अनुसार ऐसी आशंका है कि विक्रम लैंडर चांद की सतह पर क्रैश हो गया है.
अब ऑर्बिटर की मदद से उसकी तस्वीर लेने की कोशिश की जा रही है. साथ ही वैज्ञानिक विक्रम लैंडर के फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर के डेटा से ये पता करने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर 2.1 किमी की ऊंचाई पर क्यों वह अपने रास्ते से भटक गया. फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर वैसा ही यंत्र होता है जैसे किसी विमान का ब्लैक बॉक्स.
इसरो के सूत्रों ने बताया कि चांद की सतह से 2.1 किमी की ऊंचाई पर विक्रम अपने तय रास्ते से भटक गया था. इसके बाद वह 60 मीटर प्रति सेकंड की गति से 335 मीटर तक आया. ठीक इसी जगह उसका पृथ्वी पर स्थित इसरो सेंटर से संपर्क टूट गया.
वैज्ञानिकों ने बताया कि उन्हें आशंका है कि इसके बाद वह जिस गति से नीचे आ रहा था, उसी गति से वह चांद की सतह से टकरा गया. चूंकि, लैंडर बीच-बीच में चांद के चक्कर लगा रहे ऑर्बिटर से कनेक्ट हो रहा है, इसलिए इसरो वैज्ञानिकों को अब भी उम्मीद है कि लैंडर से संपर्क स्थापित हो जाएगा.
भविष्य में विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर कितना काम करेंगे, इसका पता तो डेटा एनालिसिस के बाद ही पता चलेगा. इसरो वैज्ञानिक अभी यह पता कर रहे हैं कि चांद की सतह से 2.1 किमी ऊंचाई पर विक्रम अपने तय मार्ग से क्यों भटका. इसकी एक वजह ये भी हो सकती है कि विक्रम लैंडर के साइड में लगे छोटे-छोटे 4 स्टीयरिंग इंजनों में से किसी एक ने काम न किया हो. इसकी वजह से विक्रम लैंडर अपने तय मार्ग से भटक गया हो. यहीं से सारी समस्या शुरू हुई, इसलिए वैज्ञानिक इसी प्वांइट की स्टडी कर रहे हैं.
इसके अलावा चांद के चारों तरफ चक्कर लगा रहे ऑर्बिटर में लगे ऑप्टिकल हाई रिजोल्यूशन कैमरा (OHRC) से विक्रम लैंडर की तस्वीर ली जाएगी. यह कैमरा चांद की सतह पर 0.3 मीटर यानी 1.08 फीट तक की ऊंचाई वाली किसी भी चीज की स्पष्ट तस्वीर ले सकता है. इससे मिलने वाली तस्वीरों का आकलन करने के बाद पता चलेगा कि विक्रम लैंडर को कितना नुकसान हुआ है.
हालांकि, ऑर्बिटर को लैंडर के सामने की ऑर्बिट में आने में थोड़ा समय लगेगा, क्योंकि लैंडर और ऑर्बिटर अलग-अलग कक्षा में चक्कर लगा रहे थे. क्या वह अपने पांव पर खड़ा है. क्या वह प्रज्ञान रोवर को निकाल पाएगा. क्या वह भविष्य में काम कर पाएगा. इन सारे सवालों के जवाब डेटा एनालिसिस के परिणामों से ही पता चलेगा. आखिर में… बस एक ही चीज बची है…वह है उम्मीद.