नई दिल्ली
गुरुवार को गृह मंत्री अमित शाह राज्य सभा में दिल्ली के हालिया दंगों पर चर्चा का जवाब दे रहे थे। बात दंगों से होते हुए एनपीआर और सीएए पर पहुंची। गृह मंत्री ने विपक्षी नेताओं पर सीएए और एनपीआर पर अल्पसंख्यकों खासकर मुसलमानों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह भ्रम फैलाया गया कि उनकी नागरिकता छिन जाएगी। इस दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल उनकी गुगली में फंस गए और उन्हें बोलना पड़ा कि कोई नहीं कह रहा कि सीएए किसी की नागरिकता छीनेगा।
फिर क्या था। ट्विटर पर कपिल सिब्बल ट्रेंड करने लगे। बीजेपी को उनके बयान से कांग्रेस को घेरने का मौका मिल गया। बीजेपी आईटी सेल के इंचार्ज अमित मालवीय ने सिब्बल के बयान के हिस्से को ट्वीट कर सीधे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर हमला बोला। मालवीय ने पूछा कि अगर CAA किसी की नागरिकता नहीं छीन रहा और ये बात कांग्रेस को मालूम है तो सोनिया गांधी लोगों को घर से निकलने, सड़क पर उतरने और कुर्बानी देने के लिए क्यों उकसा रही थीं।
कैसे शाह की गुगली में फंसे सिब्बल
दिल्ली दंगों पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री शाह ने कहा कि सीएए को लाने के तुरंत बाद हेट स्पीच शुरू हो गए। उन्होंने कहा, 'पूरे देशभर में अल्पसंख्यकों खासकर मुस्लिम भाइयों के मन में भ्रम फैला दिया गया कि आपकी नागरिकता छिन जाएगी। मैंने सदन के सदस्यों से बार-बार पूछा कि एक भी प्रावधान बता दो जिससे किसी की नागरिकता जाएगी। सीएए किसी की नागरिकता लेने का नहीं बल्कि देने का कानून है।'
शाह बोले- डर फैलाने संबंधी कई कांग्रेस नेताओं को कोट कर सकता हूं
इसके बाद शाह ने सभी दलों से अपील की कि वे एक होकर कहें कि सीएए से किसी की नागरिकता नहीं जाएगी तो एक भी दंगे नहीं होंगे। इसके बाद शाह ने कहा कि कपिल सिब्बल साहब सुप्रीम कोर्ट के बहुत बड़े वकील हैं। सीएए में कोई एक ऐसा प्रावधान बता दीजिए जिससे मुस्लिमों की नागरिकता जाती हो। तब सिब्बल अपनी सीट से उठे और कहा, 'कोई नहीं कह रहा कि सीएए किसी की नागरिकता छीनेगा।' उनके इस बात को शाह ने भी तपाक से लपक लिया और कहा कि वह कांग्रेस के कई नेताओं को कोट कर सकते हैं जिसमें उन्होंने कहा है कि सीएए मुसलमानों की नागरिकता छीन लेगा।
तब सिब्बल ने किया NPR का जिक्र, शाह बोले- कागज जरूरी नहीं
इसके बाद सिब्बल ने एनपीआर का जिक्र किया। उन्होंने कहा लेकिन कानून यह (सीएए) कहता है कि जब एनपीआर होगा तो उसमें 10 और सवाल पूछे जाएंगे। उस समय अगर डाउटफुल का मार्क लगा दिया गया तो मुश्किल होगी गरीबों को, केवल मुसलमानों को मुश्किल नहीं होगी, सभी गरीबों को होगी। इसके बाद शाह ने सदन को भरोसा दिलाया कि एनपीआर में किसी से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा और जो जितनी सूचना देना चाहेगा, उतना ही दे, यह वैकल्पिक है। शाह ने यह भी कहा कि कोई डाउटफुल मार्क नहीं लगेगा। देश में किसी को भी एनपीआर से डरने की जरूरत नहीं है।