नागपुर
पिछले कुछ समय से विभिन्न मुद्दों पर देश के अलग-अलग विश्वविद्यालयों में छात्रों का प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। इस बीच विश्वविद्यालयों को लेकर चीफ जस्टिस एसए बोबडे की बड़ी टिप्पणी सामने आई है। जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने कहा कि विश्वविद्यालय केवल ईंट और मोर्टार के बारे में नहीं हैं और विश्वविद्यालयों को असेंबली लाइन प्रोडक्शन यूनिट की तरह काम नहीं करना चाहिए।
नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने कहा, 'विश्वविद्यालय केवल ईंट और गारे की दीवारें नहीं हैं। निश्चित रूप से, विश्वविद्यालयों को असेंबली लाइन प्रोडक्शन यूनिट की तरह काम नहीं करना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण बात, एक विश्वविद्यालय का विचार यह है कि हम एक समाज के रूप में क्या हासिल करना चाहते हैं?'।
दरअसल, सीजेआई बोबडे महाराष्ट्र के नागपुर में दीक्षांत समारोह के दौरान छात्रों को संबोधित कर रहे थे। बता दें कि चीफ जस्टिस बोबडे का बयान इसलिए भी अहम है, क्योंकि जामिया से लेकर जेएनयू तक बीते कुछ समय से नागरिकता संशोधन कानून से लेकर फीस वृद्धि के मसले पर आंदोलन देखने को मिले थे। हालांकि, सीजेआई ने अपने बयान में सीएए का जिक्र नहीं किया है।