नई दिल्ली
महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक उठापटक जोरों पर है. सुबह तक अकेले और ठगे नजर आ रहे एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने शाम होते-होते फिर से अपनी पावर का प्रदर्शन किया है. शिवसेना के साथ सरकार गठन में लगी एनसीपी और कांग्रेस को उस वक्त झटका लगा जब पवार के भतीजे अजित पवार ने रातोरात पासा पलट दिया और शनिवार सुबह बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली.
अजित पवार के फैसले से पवार अचंभित थे क्योंकि उन्होंने खुद कहा कि इस फैसले की उन्हें कोई भी जानकारी नहीं थी. सुबह अपनी प्रेस वार्ता में शरद पवार ने अपनी सहयोगी शिवसेना को बताया कि अब भी एनसीपी उद्धव ठाकरे के साथ है और बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर पाएगी. शरद पवार ने अजित पर पार्टी को धोखा देने का आरोप भी लगाया.
विधायकों ने किया मजबूत
इसके बाद शाम को घटनाक्रम बदलता चला गया. एनसीपी विधायकों की बैठक में शरद पवार उत्साहित दिखे क्योंकि उनके साथ 40 से ज्यादा विधायक नजर आए. उधर, अजित पवार जिस वक्त बैठक चल रही थी तब वो अपने घर फोन पर व्यस्त दिखे. एनसीपी ने दावा किया है कि उसके पास 49 विधायकों का समर्थन है और इनमें कुछ वह विधायक भी शामिल हैं जो अजित पवार के साथ चले गए थे. इस बैठक के दौरान ही शरद पवार ने अपनी सहयोगी दलों के नेताओं के फोन कर सब कुछ नियंत्रण में होने की बात कही.
बीजेपी और अजित पवार ने रातोरात गणित लगाकर सरकार जरूर बना ली हो लेकिन एक बार फिर बाजी शरद पवार के हाथ में जाती दिख रही है. शरद पवार के पास फिलहाल पार्टी के 49 विधायकों का समर्थन है. साथ ही अजित के भरोसेमंद कहे जा रहे धनंजय मुंडे भी शरद पवार के साथ बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे जो सुबह अजित पवार के साथ नजर आ रहे थे. इस बीच अजित पवार घर में बंद रहे और उनके चेहरे पर चिंता के भाव साफ नजर आ रहे थे.
कोर्ट में अग्निपरीक्षा
महाराष्ट्र की सियासी जंग अब सुप्रीम कोर्ट में हैं जहां शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की संयुक्त याचिका में राज्यपाल के फैसले को चुनौती दी गई है. याचिका पर रविवार सुबह सुनवाई होनी है जिसमें 24 घंटे के भीतर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर फ्लोर टेस्ट की मांग की गई है. बीजेपी के पास सिर्फ 105 विधायक हैं जबकि बहुमत के लिए 145 का आंकड़ा जरूरी है. ऐसे में अगर कोर्ट की तरफ से जल्द फ्लोर टेस्ट का आदेश आता है तो फडणवीस सरकार मुश्किल में आ सकती है.
अब एनसीपी से लेकर कांग्रेस और शिवसेना सभी अपने विधायकों को बचाने में जुट गए हैं ताकि कोई विधायक पाला न बदल ले. याचिका में भी खरीद-फरोख्त रोकने के लिए कर्नाटक की तरह जल्द से जल्द बहुमत परीक्षण की मांग की गई है. विधायकों का साथ सिर्फ शरद पवार को नहीं मिला बल्कि उद्धव ठाकरे ने भी पवार से बैठक के बाद अपने विधायकों को मजबूती देने का काम किया है. उन्होंने शिवसेना विधायकों से कहा कि पार्टी का सपना पूरा जरूर होगा और किसी को भी डरने की जरूरत नहीं है.
ऐसे में अब सवाल है कि अब सिर्फ अजित पवार के भरोसे पर बीजेपी विधानसभा में बहुमत कैसे साबित करेगी. पार्टी भले ही 170 विधायकों के साथ होने का दावा करे लेकिन फ्लोर टेस्ट के दौरान यह जादुई आंकड़ा कहां से आएगा, इसका जवाब कोई देने को तैयार नहीं है.