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भोपाल सिटी ऑफ लेक नहीं, बल्कि लेक सिटी हैं: सिकंदर मलिक

Bhopal is not a city of lakes, but a lake city: Sikandar Malik
Bhopal is not a city of lakes, but a lake city: Sikandar Malik

Bhopal is not a city of lakes, but a lake city: Sikandar Malik

बालिकाओं के लिए मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का कानून ले आईं थीं सुल्तान जहां बेगम
Bhopal is not a city of lakes, but a lake city: Sikandar Malik : भोपाल. भोपाल की सरजमीं बेगमों की सरजमीं रही है। कई प्रगतिशील कानून और नियम उनके सामाने में आए हैं, जैसे कि सुल्तान जहां बेगम अपने शासन काल में बालिकाओं के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का कानून ले आईं थीं। बेगम सुलतान जहां ने तत्कालीन भारत का दूसरा इंग्लिश मीडियम स्कूल सुल्तानिया गल्र्स हायर सेकंडरी स्कूल खुलवाया था। सिकंदर जहां बेगम ने अपने शासनकाल में कई स्कूल खुलवाए थे, जिनमें से एक हिंदी स्कूल बिर्जीसिया कन्या पाठशाला भी शामिल है। यह बात भोपाल शहर के युवा इतिहासकार सिकंदर मलिक ने शनिवार को युवाओं की संस्था यंगशाला की प्रतिष्ठित श्रंृखला “रूबरू” के दौरान “दास्तान-ए-भोपाल” कार्यक्रम में रखी। इसमें मलिक ने भोपाल के इतिहास से जुड़ी बातें साझा की।

राजा भूपाल सिंह के नाम पर भोपाल का नाम भोपाल पड़ा
मलिक ने भोपाल के इतिहास पर बात रखते हुए कहा कि कई बार तथ्यों को तोड़-मरोडकऱ प्रस्तुत किया जाता रहा है। जैसे कि भोपाल सिटी ऑफ लेक नहीं, बल्कि लेक सिटी हैं। उन्होंने बताया कि हमारे यहां 27 तालाब हुआ करते थे, लेकिन आज स्वागत द्वार सिटी ऑफ लेक का लगा है, जो कि उदयपुर की पहचान है। उन्होंने बताया कि ऐसा कहते हैं कि रानी कमलापति ने छोटे तालाब में कूदकर आत्महत्या की थी, जबकि उनकी मृत्यु प्राकृतिक थी। उन्होंने बताया कि राजा भूपाल सिंह के नाम पर ही भोपाल का नाम भोपाल पड़ा। मलिक ने कहा कि इतिहास को सही ढंग से सिलसिलेवार समझना और समझाना जरूरी है, नहीं तो हम नई नस्लों के साथ न्याय नहीं कर पाएंगे। उन्होंने सात पहाड़ों (अरेरा, श्यामला, फतेहगढ़, ईदगाह, अहमदाबाद, वन ट्री हिल और मनुआभान की टेकरी) पर बसे भोपाल के गोंडवाना स्टेट के साथ जुड़े तारतम्यों पर भी प्रकाश डाला।

19 मोहल्ले के लोग ही वास्तविक भोपाली
सिकंदर मलिक ने आगे की चर्चा में बताया कि केवल 19 मोहल्ले के लोग ही वास्तविक भोपाली हैं, बाकी सब यहां बाहर से आकर बसे हैं। बररु काट भोपाली किसे कहते हैं, सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि तालाब किनारे एक बररु घास ऊग आई थी, जिन लोगों ने उसे काटा था, वे सब अपने को बररु काट भोपाली कहते आए हैं।

चर्चा में देते हैं भोपाल के समृद्ध इतिहास और संस्कृति की जानकारी
यंगशाला की संस्थापक सदस्य रोली शिवहरे ने बताया कि रूबरू, का यह हिस्सा युवा साथियों को भोपाल के समृद्ध इतिहास और संस्कृति के बारे में जानने का मौका देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। प्रतिभागियों को भोपाल के विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों और सांस्कृतिक आकर्षणों से परिचित कराना है, जिनमें तालाब, मंदिर, महल, मस्जिद आदि शामिल हैं। इस अवसर पर बड़ी संख्या में युवा साथी शामिल हुए।

 

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