नई दिल्ली
बीसीसीआई के नवनियुक्त कोषाध्यक्ष अरूण धूमल का मुख्य लक्ष्य गैरजरूरी खर्चों पर लगाम कसकर बोर्ड के राजस्व में इजाफा करना है और वह इस पैसे का इस्तेमाल प्रथम श्रेणी क्रिकेटरों की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए करना चाहते हैं। सौरव गांगुली की अगुआई वाले प्रशासन के एक अन्य युवा चहरे धूमल पिछले कुछ वर्षों में बढ़े खर्चे से 'हैरान हैं जो मुख्य रूप से कानूनी मामलों के कारण हुआ है।
बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष ने पीटीआई से कहा, ''मेरा लक्ष्य बीसीसीआई के राजस्व में इजाफा करना है क्योंकि राजस्व स्थिर हो गया है जबकि खर्चों में इजाफा हुआ है। प्रशासनिक और विधिक खर्चों पर ध्यान देने की जरूरत है। धूमल ने कहा, ''कुछ अन्य मुद्दों पर भी ध्यान देने की जरूरत है जिसमें कर दायित्व और अतीत की आईपीएल फ्रेंचाइजियों के साथ मुद्दे भी शामिल हैं।
धूमल भी गांगुली के इस विचार से सहमत दिखे कि प्रथम श्रेणी क्रिकेटरों का ध्यान रखने की जरूरत है और इसलिए उन्हें अधिक वित्तीय संसाधनों की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ''हमें राजस्व में इजाफा करने की जरूरत है जिससे कि प्रथम श्रेणी क्रिकेटरों को फायदा हो सके क्योंकि हम उनके बीच अधिक राशि वितरित कर पाएंगे। क्योंकि उनका ध्यान रखने की जरूरत है। इस राशि पर अभी फैसला नहीं किया गया है लेकिन धूमल को भरोसा है कि एक बार सीनियर सदस्यों और शीर्ष परिषद की बैठक के बाद उनके पास यह आंकड़ा होगा।
उन्होंने कहा, ''हमें अध्यक्ष और शीर्ष परिषद के अन्य सदस्यों के साथ बैठने और राशि पर फैसला करने की जरूरत है। लेकिन यह राजस्व में इजाफे पर निर्भर करेगा क्योंकि हमें देखना होगा कि हम द्विपक्षीय श्रृंखलाओं और अन्य आईसीसी टूर्नामेंटों से कितनी कमाई कर रहे हैं। धूमल हालांकि गैरजरूरी खर्चों पर लगाम चाहते हैं और उन्होंने कहा कि इससे कोई समझौता नहीं होगा। उन्होंने कहा, ''निश्चित तौर पर पिछले कुछ वर्षों में विधिक खर्चों में इजाफा हुआ है। खर्चे की राशि से मैं ही नहीं बल्कि सभी सदस्य हैरान हैं। इस पर गौर करने की जरूरत है और हम निश्चित तौर पर ऐसा करेंगे।
उन्होंने साथ ही स्पष्ट कर दिया कि जहां तक 2023-2031 के भविष्य दौरा कार्यक्रम का सवाल है तो वे आईसीसी के साथ नहीं हैं। धूमल ने कहा, ''हम टूर्नामेंटों की संख्या बढ़ाने के संदर्भ में आईसीसी के नए प्रस्ताव से सहमत नहीं हैं। वह इस बात से भी हैरान दिखे कि आईसीसी के नए कार्यसमूह में बीसीसीआई का प्रतिनिधित्व नहीं है। उन्होंने कहा, ''क्या हमने कभी कल्पना की थी कि आईसीसी के खाके में बीसीसीआई का कोई मत नहीं होगा। कभी इसकी कल्पना नहीं की गई थी। बीसीसीआई के बिना आईसीसी क्या है।