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AGR बकाया: कार्रवाई के डर से आज 1 लाख करोड़ चुका सकती हैं कंपनियां

नई दिल्ली

भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज जैसी दूरसंचार कंपनियां सोमवार को सरकार को 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) बकाया चुका सकती हैं. आध‍िकारिक सूत्रों ने ऐसा दावा किया है.

हालांकि, इन कंपनियों ने दूरसंचार विभाग को सूचना दी है कि वे आंशिक भुगतान ही करेंगी, लेकिन सूत्रों का कहना है कि दंडात्मक कार्रवाई से बचने के लिए सोमवार को ये कंपनियां पूरा भुगतान कर सकती हैं. उक्त तीनों कंपनियों पर ही संयुक्त रूप से एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का एजीआर बकाया है.

क्या कहा कंपनियों ने

एक आधिकारिक सूत्र ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया, 'एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज ने कहा है कि वे सोमवार को भुगतान करेंगी. दूरसंचार विभाग कंपनियों द्वारा किए गए भुगतान का मूल्यांकन करने के बाद आगे की कार्रवाई करेगा.'  भारती एयरटेल ने इससे पहले शुक्रवार को दूरसंचार विभाग को 20 फरवरी तक 10 हजार करोड़ रुपये का भुगतान करने की पेशकश की थी, लेकिन दूरसंचार विभाग ने समय सीमा में अब छूट देने से साफ इनकार कर दिया.

वोडाफोन आइडिया ने शनिवार को कहा कि वह इसका आकलन कर रही है कि एजीआर बकाए को लेकर कितना भुगतान किया जा सकता है,  सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्टूबर 2019 को दिये फैसले में कहा था कि दूरसंचार कंपनियों पर सम्मिलित रूप से 1.47 लाख करोड़ रुपये का एजीआर बकाया है. इन कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट ने 23 जनवरी तक बकाए का भुगतान करने को कहा था, लेकिन रिलायंस जियो के अलावा  किसी भी कंपनी ने अभी तक भुगतान नहीं किया है.

कितना है बकाया

उपलब्ध अंतिम अनुमान के हिसाब से ब्याज और जुर्माने सहित सभी कंपनियों पर करीब 1.47 लाख करोड़ रुपये का बकाया है. एयरटेल पर 35,586 करोड़ रुपये, वोडाफोन आइडिया पर 53 हजार करोड़ रुपये, टाटा टेलीसर्विसेज पर 13,800 करोड़ रुपये, बीएसएनएल पर 4,989 करोड़ रुपये और एमटीएनएल पर 3,122 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया है. सरकारी कंपनियां बीएसएनएल और एमटीएनएल ने भी अब तक भुगतान नहीं किया है.  कई कंपनियों का कारोबार बंद हो चुका है. रिलायंस कम्युनिकेशंस और एयरसेल इस समय दिवाला प्रक्रिया का सामना कर रही हैं.

क्या है AGR मसला

एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला यूजेज और लाइसेंसिग फीस है. इसके दो हिस्से होते हैं- स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज और लाइसेंसिंग फीस, जो क्रमश 3-5 फीसदी और 8 फीसदी होता है.

दूरसंचार विभाग कहना था कि  AGR की गणना किसी टेलीकॉम कंपनी को होने वाली संपूर्ण आय या रेवेन्यू के आधार पर होनी चाहिए, जिसमें डिपॉजिट इंट्रेस्ट और एसेट बिक्री जैसे गैर टेलीकॉम स्रोत से हुई आय भी शामिल हो. दूसरी तरफ, टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि AGR की गणना सिर्फ टेलीकॉम सेवाओं से होने वाली आय के आधार पर होनी चाहिए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट नेटेलीकॉम विभाग के पक्ष को सही मानते हुए उसके समर्थन में फैसला दिया है.

 

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