नई दिल्ली
अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए सरकार छोटे और मझोले कारोबारियों को रियायतें देने की तैयारी में हैं। इसके तहत एमएसएमई सेक्टर की परिभाषा बदली जाएगी। हर सेक्टर की टर्नओवर के हिसाब से अलग अलग श्रेणी तय की जाएगी। ताकि कारोबारियों को उनके क्षेत्र के हिसाब से जीएसटी रिफंड के साथ दूसरी रियायतें तेजी से मिल सकें।
सेक्टर के हिसाब से श्रेणी: अभी देश में इन कारोबारियों के लिए मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज जैसी दो ही श्रेणियां हैं। अब सेक्टर हिसाब से श्रेणी बनाई जाएगी और उसी के मुताबिक एमएसएमई कैटेगरी के लिए टर्नओवर की सीमा तय होगी। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तीन से ज्यादा श्रेणी बनाई जा सकती है। वहीं आभूषण, टेक्सटाइल और ऑटो कॉम्पोनेन्ट जैसे क्षेत्रों की अलग परिभाषा तय की जाएगी।
अध्यादेश जल्द : सरकार नई व्यवस्था के लिए जल्द ही कैबिनेट में बिल लाया सकती है। कैबिनेट से बिल पास होने के बाद अध्यादेश के जरिए इसे देश भर में लागू किया जा सकता है।
हिस्सेदारी बढ़ाकर 50 फीसदी करेंगे
मौजूदा दौर में देश की जीडीपी में एमएसएमई कारोबारियों की हिस्सेदारी 29 फीसदी है। सरकार आने वाले पांच सालों में इसे बढ़ाकर 50 फीसदी तक पहुंचाने के लक्ष्य के साथ काम कर रही है।
आंकड़ा जुटाएगी सरकार
सरकार ने 1000 करोड़ रुपये के फंड से देश भर की आर्थिक और सामाजिक आंकड़े इकट्ठा करने शुरू कर दिए हैं। मैपिंग में इलाके को भौगोलिक स्थिति के आधार पर बांटा जाएगा और वहां की आर्थिक स्थिति, सड़क, जनसंख्या, उद्योग जगत और संभावित उद्योग जैसी चीजों के आधार पर डिजिटल जानकारी इकट्ठा की जाएगी। उसी हिसाब से स्कीमें बनाई जाएंगी।