राजनीति

विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में भीतरघात! यूपी-हरियाणा से लेकर महाराष्ट्र में दिख रहे बागी तेवर

 नई दिल्ली 
महाराष्ट्र और हरियाणा चुनाव से पहले ही कांग्रेस भीतरघात का सामना कर रही है। कांग्रेस के लिए गुरुवार का दिन असहमति और विद्रोह का दिन था। दिल्ली, लखनऊ से लेकर मुंबई तक कांग्रेस के निर्णयों पर पार्टी के प्रमुख नेताओं ने सार्वजनिक तौर पर अपनी नाराजगी जाहिर की या फिर खुलेआम उसका मजाक उड़ाया। चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के भीतर से जो नाराजगी के स्वर सुनाई दे रहे हैं, वह पार्टी के लिए किसी झटके से कम नहीं है। मुंबई में जहां संजय निरुपम ने सार्वजनिक तौर पर कांग्रेस से अपनी नाराजगी जाहिर की तो वहीं रायबरेली से कांग्रेस विधायक अदिति ने पार्टी की किड़किड़ी कराई। 

लखनऊ में 31 साल की रायबरेली से विधायक अदिति सिंह ने योगी सरकार द्वारा बुलाए गए विशेष विधानसभा सत्र में हिस्सा लेकर कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी। जबकि कांग्रेस पार्टी ने इसका बहिष्कार किया था। दरअसल, राज्य सरकार ने बुधवार को 36 घंटों का विधानसभा का संयुक्त सत्र बुलाया था, जिसका विपक्षी पार्टियों ने बहिष्कार किया। लेकिन कांग्रेस विधायक अदिति सिंह ने पाटीर् लाइन से इतर जाकार सत्र में भाग लिया। इसके 24 घंटे से भी कम समय के भीतर राज्य सरकार ने उन्हें 'पुरस्कृत' करते हुए उनकी सुरक्षा वाई-श्रेणी की कर दी। 

अदिति ने इस पर कहा कि “मैंने अपने संबोधन में केवल विकास की बात की। जब अनुच्छेद 37० को रद्द करके जम्मू एवं कश्मीर से विशेष राज्य का दजार् वापस लिया गया था मैंने इसका पूर्ण समर्थन करने का फैसला किया।”अदिति ने आगे कहा था, “जब भी विकास के मुद्दों पर बात होती है, हमें चाहिए कि हम पार्टी लाइन से बाहर जाकर सोचें। मेरे सत्र में भाग लेने के चलते पार्टी कमान जो भी फैसला लेगी मैं उसे स्वीकार करूंगी, लेकिन अपने क्षेत्र के लोगों की सेवा करना हमेशा मेरी प्राथमिकता रहेगी।” दिति सिंह राय बरेली सदर सीट से राज्य विधानसभा में अपने क्षेत्र के लोगों का प्रतिनिधित्व करती हैं और उनका क्षेत्र कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र में पड़ता है। 

दूसरी घटना मुंबई से है, जहां पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने पार्टी के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया।  महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए टिकट वितरण को लेकर कांग्रेस नेताओं में अंदरूनी कलह उस वक्त सामने आ गई जब पार्टी की मुंबई इकाई के पूर्व प्रमुख संजय निरूपम ने बृहस्पतिवार को कहा कि ऐसा लगता है कि पार्टी को उनकी सेवाओं की जरूरत नहीं है और ऐसे में वह प्रचार नहीं करेंगे। 

निरुपम ने को बताया, ''मैं मुंबई कांग्रेस का अध्यक्ष और सांसद रहा हूं। मैंने सिर्फ एक सीट के लिए आग्रह किया था। फिर मेरी नहीं सुनी गई। ऐसा क्यों है? 'ऐसा लगता है कि पार्टी को मेरी सेवा की जरूरत नहीं है। इसलिए मैंने निर्णय किया है कि प्रचार से दूर रहूंगा। यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से कोई बात हुई तो उन्होंने कहा कि उनके साथ उनकी कोई बात नहीं हुई। उन्होंने इससे भी इनकार किया कि वह अब पार्टी छोड़ रहे हैं।  इससे पहले उन्होंने ट्वीट कर कहा कि पार्टी नेतृत्व उनसे जिस तरह का व्यवहार कर रहा है, उसे देखते हुए वह दिन दूर नहीं जब वह पार्टी को अलविदा कह देंगे।' बता दें कि महाराष्ट्र में कांग्रेस ने अब तक एक भी उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है। 

इधर हरियाणा में भी पार्टी को अपने ही लोगों के बागी तेवरका सामना  करना पड़ रहा है। टिकट वितरण में अपने समर्थकों की अनदेखी से नाराज कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर ने बृहस्पतिवार को विधानसभा चुनाव के लिए बनी विभिन्न समितियों से इस्तीफा दे दिया और आरोप लगाया कि हरियाणा कांग्रेस अब 'हुड्डा कांग्रेस बनती जा रही है। तंवर ने बृहस्पतिवार को यहां संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कहा कि उन्हें समितियों से मुक्त किया जाए और वह सामान्य कार्यकर्ता की तरह पार्टी के लिए काम करते रहेंगे। वह चुनाव के लिए बनी प्रदेश चुनाव समिति सहित कई समितियों में शामिल थे। 

अशोक तंवर ने कहा, ''आप सभी जानते हैं कि हरियाणा में विधानसभा चुनाव है। पिछले पांच साल का घटनाक्रम सबके सामने है। पार्टी के अंदर ऐसी ताकतें हैं जिन्होंने पार्टी को लगातार कमजोर किया। जमीन से जुड़े नेताओं को काम करने से रोका। तंवर ने हुड्डा पर तंज कसते हुए कहा, '' देश में लोकतंत्र है, लेकिन हरियाणा में बड़े बड़े राजघराने हैं। कुछ हमारी पार्टी में हैं और कुछ लोग दूसरी पार्टी में हैं। मेरे खिलाफ असहयोग आंदोलन चलाया लेकिन लोकसभा चुनाव में छह फीसदी वोट बढ़ा। उन्होंने यह भी दावा किया कि हरियाणा कांग्रेस अब 'हुड्डा कांग्रेस बनती जा रही है।

कांग्रेस अलाकमान इन घटनाओं को महज एक गुस्सा के तौर पर देख रहे हैं, मगर कुछ नेताओं का मानना है कि विरोध की ये आवाजें आने वाले हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं। 

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